कार्तिक मास की वैकुंठ चतुर्दशी का महत्व अधिक होने से रविवार को हजारों श्रद्धालुओं ने भैरवगढ़ स्थित सिद्धनाथ मंदिर पर दर्शन-पूजन किए। सिद्धवट पर दूध अर्पित किया। शिप्रा घाट पर सुबह से ही ग्रामीण अंचलों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने शिप्रा में स्नान कर पितृ शांति के लिए तर्पण-पिंडदान भी किया।
सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह शिप्रा नदी में स्नान – ध्यान हुआ। शाम को दीपदान करने महिला श्रद्धालु शिप्रा तट पहुंचेंगी। चतुर्दशी पर सोमवार को अल सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। हालत यह थी कि भैरवगढ़ मार्ग पर वाहनों के कारण जाम लग गया।
कार्तिक की चतुर्दशी पर रविवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने सिद्धवट पर दुध अर्पित कर दर्शन लाभ लिया। सोमवार को पूर्णिमा का स्नान मोक्षदायिनी शिप्रा में हो रहा है। दोनों बड़े पर्व होने के कारण एक दिन पूर्व से ही ग्रामीण अंचलों से हजारों श्रद्धालु धार्मिक नगरी में पहुंचना शुरू हो गए थे। वैकुंठ चतुर्दशी पर सिद्धवट पर स्नान, पिंडदान और तर्पण का सिलसिला अलसुबह से ही शुरू हो गया था, जो दोपहर बाद तक चलता रहा। भगवान सिद्धनाथ को दूध अर्पित पर हजारों लोगों ने पुण्य लाभ अर्जित किया। सुबह से ही दूध अर्पित करने के लिए मंदिर परिसर में लंबी कतार लगी रही।
सिद्धवट पर अर्पित दूध पूर्वजों तक पहुंचता है
मंदिर के पुजारी सुधीर चतुर्वेदी ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली चतुर्दशी को वैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है। बड़ी चतुर्दशी होने से इस दिन दिवंगत पूर्वजों के निमित्त कार्य किया जाता है। इस दिन मान्यता के अनुसार दूध सिद्धवट पर अर्पित होता है। कहा जाता है कि सिद्धवट को अर्पित दूध सीधे दिवंगत पूर्वजों तक पहुंचता है। यही कारण है कि प्रदेश भर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर दूध-जल अर्पित कर पूर्वजों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।