किला गेट से सेवा नगर तक तोड़े जा रहे मकान को लेकर कांग्रेस ने किया हंगामा, कांग्रेसी गिरफ्तार


ग्वालियर। ग्वालियर में किलागेट से फूलबाग के बीच बन रही रोड के चौड़ीकरण में बाधक 70 से 80 साल पुराने करीब 244 मकानों को तोड़ने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस व नगर निगम ने कार्रवाई शुरू की। प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता हंगामा करने पर उतर आए। पुलिस ने पहले उनको बातचीत कर हटाने का प्रयास किया, लेकिन जब नहीं माने तो हल्का बल प्रयोग कर करीब एक सैकड़ा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी कर उन्हें पुलिस वाहनों में भरकर पुलिस लाइन पहुंचा दिया गया है। कांग्रेस ने इसे भाजपा शासन का गरीब लोगों के प्रति अन्याय बताया है। विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि जब लोग स्वेच्छा से मकान तोड़ रहे हैं तो जेसीबी चलाकर उनका नुकसान क्यों किया जा रहा है। दोपहर बाद भी प्रशासन की कार्रवाई जारी थी। काफी तादाद में पुलिस बल मौजूद रहा है।

वही किलागेट से सेवा नगर पुलिया तक रोड के दोनों ओर की संपत्तियों पर निशान लगने के बाद लोगों ने न सिर्फ सामान समेटने का काम शुरू किया बल्कि अपने निर्माण के चिह्नित क्षेत्र की तुड़ाई भी खुद शुरू करा दी है। उधर, सराफ बाजार के निवासियों ने भी अपनी संपत्तियों को तोड़ना शुरू कर दिया है। लोगों द्वारा खुद ही हटाए जा रहे निर्माण को देखते हुए नगर निगम ने कार्रवाई को समय दे दिया है। किलागेट चौराहे पर 17 संपत्तियां तोड़ने के बाद नगर निगम ने किलागेट से सेवा नगर पुलिया तक रोड के दोनों ओर की 244 संपत्तियों पर कार्रवाई के लिए छह घंटे के नोटिस चस्पा किए थे। नोटिस के अनुसार रोड की चौड़ाई 18 मीटर प्रस्तावित थी, लेकिन बाद में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के हस्तक्षेप के बाद रोड की चौड़ाई घटाकर 12 मीटर कर दी गई। इससे प्रभावित संपत्तियों की संख्या कम हो गई। इसके बाद लोगों ने खुद ही अपने निर्माण का चिह्नित भाग तोड़ना शुरू कर दिया। हालांकि तमाम लोग अब भी इस इंतजार में हैं कि शायद किसी राजनीतिक हस्तक्षेप से तुड़ाई रुक जाए। इस पर निगम के अधिकारियों ने गुरुवार को चर्चा कर तुड़ाई की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए पुलिस व जिला प्रशासन आदि विभागों से समन्वय भी स्थापित कर लिया गया है। शुक्रवार को निगम के क्षेत्रीय अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया है। जिसके बाद शनिवार को तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू हो गई है।

जिला प्रशासन की कार्रवाई को लेकर लोग आक्रोशित है। स्थानीय नागरिक रविन्द्र कुमार का कहना है कि 70 से 80 साल से यहां रह रहे हैं। जायज मकान है। इसके बाद भी प्रशासन ने लाल निशान लगा दिया। यह पहली बार नहीं है छटवीं बार निशान लगाया है। सड़क चौड़ी करने के चक्कर में कई लोगों को पूरे के पूरे मकान ही जा रहे हैं। ऐसे सौंद्रीयकरण का क्या फायदा। एडवोकेट उमेश गुप्ता का मकान तीन दिन पहले किलागेट पर तोड़ा गया था। उनका कहना है कि एक इंच भी मकान गैर कानूनी नहीं था। 12 फीट का नोटिस दिया और 20 फीट तोड़ दिया। मुआवजा तो दूर की बात 6 घंटे का नोटिस देकर पूरी कार्रवाई की गई है। हमें हमारे घरों से ऐसे निकाला गया है जैसे कोई आतंकवादी हो। जब टूट गया तो भाजपा-कांग्रेस व आप वाले आ रहे हैं। सब अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं।

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