पकौड़े तलने वाली नगर परिषद अध्यक्ष,गली-गली घूमकर जानती हैं समस्याएं


झाबुआ जिले के राणापुर नगर में एक छोटी सी दुकान पर ग्राहकों को चाय देते और पकौड़े तलते 22 साल की युवती को आप देखें तो ये न सोचें कि यही इनका पेशा है। ये नगर की प्रथम नागरिक हैं। यानी नगर परिषद की अध्यक्ष। नाम है- दीपमाला। दरअसल, ये दुकान दीपमाला की मां प्रमिला चलाती हैं। दीपमाला साप्ताहिक हाट के दिन हर शनिवार को यहां पूरे दिन काम करती हैं।

दीपमाला की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही इंस्पायरिंग भी…

दीपमाला के पिता दिलीप नलवाया और मां प्रमिला यहां वार्ड-1 से पार्षद रह चुके हैं। यानी राजनीति का ककहरा दीपमाला ने घर में ही सीख लिया। महज 22 साल 6 महीने की उम्र में वे राणापुर नगर परिषद की अध्यक्ष चुनी गईं। वो भी निर्विरोध। भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था। इसके साथ ही राणापुर के इतिहास में सबसे युवा नगर परिषद अध्यक्ष बनने का गौरव दीपमाला ने हासिल कर लिया। ये तो बात हुई दीपमाला के राजनीति में एंट्री की। अब जानिए कि आखिर दीपमाला के चाय बेचने और पकौड़े बेचने की वजह क्या है।

मां का हाथ बंटाने आती हैं दुकान

दीपमाला बताती हैं कि मां प्रमिला चाय और पकौड़े की दुकान चलाती हैं। इसी से परिवार का खर्च निकलता है। रोज की आमदनी है 2 से 3 हजार रुपए। साप्ताहिक हाट वाले दिन शनिवार को भीड़ बढ़ जाती है। आमदनी भी 5 हजार रुपए तक पहुंच जाती है, लेकिन मां के लिए अकेले दुकान संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वे शनिवार को पूरा दिन मां की मदद करती हैं। इसके अलावा रोज मां की मदद के लिए कभी-कभी दुकान पर आ जाती हैं।

हमारे मन में एक सवाल था कि दीपमाला अगर चाय-पकौड़े बेचती हैं, तो नगर के विकास से संबंधित काम के लिए भला उनके पास क्या समय बचता होगा। इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमने कुछ वार्डों में जाकर बातचीत की।

बेटी और पिता दोनों मिलते हैं वार्ड में लोगों से

लोगों ने कहा, दीपलामा 3 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। नगर परिषद की अध्यक्ष बनने के बाद वे लगातार नगर के वार्डों का भ्रमण करती हैं। कामों को देखती हैं। उनके पिता भी एक्टिव रहते हैं। वे सुबह और शाम दोनों समय नगर के लोगों के सम्पर्क में रहते हैं। अभी शहर की साफ-सफाई पर जोर दे रही हैं।

दीपमाला नगर के वार्डों में पैदल जाकर समस्याएं देखती हैं। लोगों से बात करती हैं। इसके बाद समस्याओं काे हल करती हैं। उनकी मां भी पार्षद रह चुकी हैं।
दीपमाला नगर के वार्डों में पैदल जाकर समस्याएं देखती हैं। लोगों से बात करती हैं। इसके बाद समस्याओं काे हल करती हैं। उनकी मां भी पार्षद रह चुकी हैं।

खुद जताई राजनीति में आने की इच्छा
पिता दिलीप का कहना है कि नेता सरपंच तक का चुनाव जीतने के बाद बदल जाते हैं, लेकिन दीपमाला आज भी बिल्कुल जमीन से जुड़ी हैं। अब भी वे घर के कामों में परिवार का हाथ बंटाती हैं। खेतों में काम करती हैं, दुकान पर काम करती हैं। राजनीति में आने की इच्छा उन्होंने खुद जताई। मैं 20 साल से राजनीति में सक्रिय हूं। वार्ड 1 से ही पार्षद भी था। पत्नी भी इसी वार्ड से बाद में पार्षद रही। हमें देखकर ही बेटी भी लोगों के काम कराने के लिए उत्सुक रहती थी। मेरा सपना था कि नगर परिषद अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठकर नगर के लिए अच्छा काम कर सकूं। मेरा सपना अब बेटी पूरा कर रही है।

नर्मदा का पानी लाना चाहती हैं नगर तक
दीपमाला ने बताया नगर के लोगों की बड़ी जरूरत पानी है। नर्मदा का पानी राणापुर में लाना चाहती हूं, ताकि हमेशा के लिए पीने के पानी की दिक्कत खत्म हो जाए। सीएम शिवराज से मुलाकात होगी, तो शहर के लिए नर्मदा की पानी लाने के लिए उनसे निवेदन करूंगी। विश्वास है कि प्रदेश के मामा राणापुर की भांजी की बात जरूर मानेंगे। इसके अलावा राणा सागर तालाब, सड़कों और एक विकसित गार्डन को लेकर भी प्लानिंग है। पढ़ाई जारी है।

पिता के साथ नगर के विकास को लेकर चर्चा करती दीपमाला। दीपमाला अपने नगर तक नर्मदा का पानी लाना चाहती हैं। वे कहती हैं- सीएम शिवराज से मुलाकात होगी, तो शहर के लिए नर्मदा की पानी लाने के लिए उनसे निवेदन करूंगी। विश्वास है कि प्रदेश के मामा राणापुर की भांजी की बात जरूर मानेंगे।
पिता के साथ नगर के विकास को लेकर चर्चा करती दीपमाला। दीपमाला अपने नगर तक नर्मदा का पानी लाना चाहती हैं। वे कहती हैं- सीएम शिवराज से मुलाकात होगी, तो शहर के लिए नर्मदा की पानी लाने के लिए उनसे निवेदन करूंगी। विश्वास है कि प्रदेश के मामा राणापुर की भांजी की बात जरूर मानेंगे।

बीटेक पास, एमटेक की पढ़ाई जारी
दीपमाला साधारण आदिवासी परिवार से आती हैं। घर में माता-पिता पढ़े-लिखे हैं, लेकिन ज्यादा नहीं। दीपमाला ने घर ही नहीं, इलाके के आदिवासी परिवारों में महिलाओं की शिक्षा को लेकर भी एक नई लकीर खींची। उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी कर ली है। अब सिविल इंजीनियरिंग में प्राइवेट कॉलेज से एमटेक कर रही हैं। दिन भर के कामों से फुरसत मिलने के बाद वे ऑनलाइन क्लासेस लेती हैं, अपनी पढ़ाई भी करती हैं।

नगर परिषद अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद सबसे युवा अध्यक्ष बनकर देख रहीं काम। दिन भर के कामों से फुरसत मिलने के बाद वे ऑनलाइन क्लासेस लेती हैं, अपनी पढ़ाई भी करती हैं।
नगर परिषद अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद सबसे युवा अध्यक्ष बनकर देख रहीं काम। दिन भर के कामों से फुरसत मिलने के बाद वे ऑनलाइन क्लासेस लेती हैं, अपनी पढ़ाई भी करती हैं।

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