उज्जैन में 27 से 29 दिसंबर तक अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन (international water conference) होने वाला है। इस मौके पर देश का पहला जल स्तंभ यहां स्थापित किया जाने वाला है।
पत्थरों से बनाए गए 13 फीट ऊंचे इस स्तंभ पर चारों वेदों की ऋचाओं को चांदी की कारीगरी से उकेरा जाएगा। इसके जरिए लोगों को जल संरक्षण का संदेश दिया जाएगा। इस स्तंभ का अनावरण स्वयंसेवक संघ के सर संघसंचालक मोहन भागवत करने वाले हैं।
इस दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद और पंडित दीनदयाल शोध संस्थान की ओर से पंचमहाभूतों पर आधारित सेमिनार का आयोजन भी किया जाने वाला है। भारतीय परंपरा में यह माना जाता है कि हमारे शरीर में पांच तत्व मौजूद हैं। जिसमें पानी, आग, हवा, धरती और आसमान शामिल है। इनका संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी है इसीलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
बाबा महाकाल यानी भोलेनाथ को जल बहुत प्रिय है इसलिए यहां जल तत्व पर आधारित सेमिनार आयोजित किया जाने वाला है। इस सेमिनार में जल विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक गुरु अपने विचार और शोध प्रस्तुत करने वाले हैं। इस दौरान जल संवर्धन और संरक्षण पर आधारित प्रदर्शनी और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। वहीं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से देश का पहला जल स्तंभ स्थापित होगा।
मंदिर समिति के मुताबिक 13 फीट ऊंचा और 2 फीट व्यास का पत्थर का स्तंभ स्थापित होगा। जिस पर 60 किलो चांदी चढ़ाई जाएगी। इस चांदी के आवरण पर चारों वेदों की ऋचाएं उकेरी जाएंगी। संस्कृत के साथ हिंदी में भी इनका अर्थ यहां पर अंकित किया जाएगा। महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को जल संस्कृति से अवगत कराने और जल संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से यह किया जा रहा है। इस स्तंभ के डिजाइन को आर्किटेक्ट नितिन श्रीमाली की ओर से तैयार किया गया है।
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