भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी आहट के बीच कार्यकर्ताओं की पूछ-परख भी बढ़ने लगी है। कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के साथ ही भाजपा उनकी नाराजगी दूर करने पर भी गंभीरता से काम कर रही है संवादहीनता, काम न होना, महत्त्व न मिलने जैसी शिकायतों को लेकर संगठन पदाधिकारियों और प्रदेश के मंत्रियों से भी चर्चा शुरू हो गई है।
दरअसल, पीढ़ी परिवर्तन और कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं का बड़ा वर्ग नाराज होकर घर बैठ गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच समरसता के दावे कमजोर हैं, वहीं पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं को भविष्य की चिंता भी सता रही है। इन परिस्थितियों में भी उनकी पार्टी में पूछ-परख ना होना नाराजगी को बढ़ावा दे रही है। चुनावी साल में राजनीतिक दलों के बीच अदल-बदल का क्रम भी तेज होने के आसार हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं के लिए सामने भी कई विभिन्न प्रकार की परिस्थितियां बन जाती हैं।
अब पार्टी के सामने चुनौती यह है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर कैसे किया जाए? कार्यकर्ताओं को न केवल सक्रिय करना है, बल्कि जनता के बीच भी भेजना है। केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के अलावा पार्टी के पक्ष में बेहतर माहौल बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं पर ही है। हालांकि कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें न तो सम्मान मिल रहा है, न कोई पूछ रहा है, बल्कि उनके द्वारा काम ना करा सकने की स्थिति में जमीनी पकड़ भी कमजोर पड़ रही है। कार्यकर्ताओं द्वारा उनसे बेरुखी के आरोप स्थानीय पदाधिकारियों ही नहीं, संगठन और प्रदेश के मंत्रियों पर भी लगाए जाते रहे हैं।
यही वजह है कि संगठन के साथ मंत्रियों को भी कार्यकर्ताओं से मेलजोल बढ़ाने और उनकी हर स्तर पर मदद करने का निर्देश दिया गया है। मंत्रियों ने भी कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखी थी। संगठन को शिकायत भी मिली कि जब कार्यकर्ता मंत्रियों से मिलने जाते हैं तो वे मौजूद रहकर भी मिलते नहीं हैं।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने से पहले मंत्रियों के परफारमेंस का अनुमान लगाने के लिए बारीकी से अध्ययन कर रही है। प्रदेश की सत्ता और संगठन की उच्च स्तरीय बैठक में भी मंत्रियों से सीधा सवाल किया गया कि कार्यकर्ताओं से आपके संबंध कैसे हैं और टिकट मिलने की स्थिति में जीत की संभावनाएं कितनी हैं?
भाजपा आज सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। सवाधिक सांसद, पार्षद और भाजपा के ही हैं। कार्यकताओं में सत्ता की भागदीदारी से समाज सेवा करने का जज्बा बेहद मजबूत है अत: समस्त कार्यकर्ताओं को भाजपा नेतृत्व से ही उम्मीदें भी हैं। हम इसे नाराजगी नहीं मानते हैं, ये आकांक्षी भाजपा का स्वरूप है। – डा हितेष वाजपेयी प्रवक्ता भाजपा
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