राजधानी में लगभग पांच लाख कारें हैं। इनमें से चार लाख सड़क पर ही पार्क होती हैं। क्योंकि पार्किंग के लिए न तो घर में जगह है, न कॉलोनी में और न बाजार में। अरेरा कॉलोनी के बाहर तो मेन रोड नंबर 2 पर एक पूरी लेन में कारें पार्क होने लगी हैं। सुबह और शाम के समय शहर की किसी भी पॉश कॉलोनी में सड़कों पर लाइन से कारें खड़ी रहती हैं। कुछ घरों में पोर्च में एक गाड़ी पार्क करने की जगह तो है, लेकिन विजिटर पार्किंग के बारे में तो कभी किसी स्तर पर विचार ही नहीं हुआ।
पार्किंग की समस्या से निपटने के लिए तीन साल पहले नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने एक पार्किंग पॉलिसी बनाई थी। 2014 में भी पॉलिसी बनी थी, लेकिन वह भी लागू नहीं हो सकी। एक साल पहले सुशासन संस्थान ने एक अरबन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी का ड्राफ्ट बनाया था। इसमें भी निजी वाहनों की पार्किंग को लेकर कुछ कड़े प्रावधान सुझाए गए थे। इसके अलावा यदि सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट-2012 में भी प्रावधान है जिसमें कार खरीदते समय पार्किंग के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध होने का एफिडेविट देने का नियम है, लेकिन मप्र ने एक्ट के इस प्रावधान को लागू ही नहीं किया है, जबकि राजस्थान सहित कुछ राज्यों में यह प्रावधान लागू है। पिछले साल नगरीय आवास एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने नई पार्किंग पॉलिसी बनाने की बात कही थी। इसमें जयपुर, बेंगलुरू जैसे शहरों की तरह कार खरीदने के लिए नगर निगम से पार्किंग सर्टिफिकेट लेना जरूरी करने, बिल्डिंग परमिशन व लैंड डेवलपमेंट के नियमों में बदलाव करने की बात सामने आई थी।
पार्किंग पॉलिसी में… एफएआर में छूट मिले तो पार्किंग स्पेस डेवलप हो
2019 में यूएडीडी द्वारा तैयार पार्किंग पॉलिसी में पार्किंग स्पेस डेवलप करने के लिए एफएआर में छूट देने का प्रावधान है। पॉलिसी में उदाहरण दिया गया है कि 1000 वर्ग फीट में से 350-400 वर्ग फीट पार्किंग के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। सभी तरह के अपार्टमेंट्स में रहवासियों के साथ 20 प्रतिशत अतिरिक्त स्थान विजिटर पार्किंग के लिए रखा जाना चाहिए। इस पॉलिसी में सार्वजनिक स्थानों पर पार्किंग डेवलप करने के लिए नई टेक्नालॉजी का उपयोग करने से लेकर पीपीपी तक की बात कही गई है। पॉलिसी इस तरह से बनाई गई है कि हर शहर अपनी जरूरतों के अनुसार नियम बना सके। इसके अलावा पिछले साल बने अरबन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी के ड्राफ्ट में पार्किंग मैनेजमेंट प्लान बनाने और लोगों को स्वयं का वाहन खरीदने की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हीकल का उपयोग करने पर जोर दिया गया था।
बिल्डिंग परमिशन के प्रावधान का ऐसे होता है उल्लंघन
मकान निर्माण करते समय बिल्डिंग परमिशन में साइड एमओएस में पार्किंग बताई जाती है। लेकिन मौके पर इसका उपयोग घर के ही दूसरे सामान रखने में होता है। 30 प्रतिशत मकानों में गैरेज के नाम पर बने कमरों के अन्य उपयोग हो रहे हैं। शाहपुरा, बावडिय़ा कला, रायसेन रोड और होशंगाबाद रोड पर पिछले 20 सालों में डेवलप हुई सभी कालोनियों में कारें घरों के बाहर खड़ी रहती हैं।
पॉलिसी शासन के पास विचाराधीन है
विभाग ने अपनी प्रक्रिया पूरी कर 019 में तैयार पार्किंग पॉलिसी शासन को भेज दी है। शासन की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा।
-भरत यादव, आयुक्त, नगरीय आवास एवं विकास