इंदौर । इंदौर में सोमवार को अंगदान में एक और इतिहास रचा गया। शहर ही नहीं प्रदेश में पहली बार किसी ब्रेन डेड व्यक्ति के हाथों को ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया। रतलाम कोठी निवासी ट्रांसपोर्ट व्यवसायी सुनील खजांची की पत्नी विनीता (52) के लिवर, फेफड़े, दोनों किडनियां और दोनों हाथ के साथ ही उनकी आंखें और त्वचा भी दान कर दी गई। इसके लिए शहर में चार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।
इसके लिए चार ट्रैफिक एसीपी सहित 150 पुलिसकर्मियों का बल लगा। इस तरह विनीता अपनी मौत के बाद भी सात जिंदगी को रोशन कर गईं। हाथ मुंबई की 18 साल की युवती को लगाए गए। देर रात तक ऑपरेशन जारी था। सुनील खजांची के पिता, बड़ी भाभी शिरोमणि खजांची और मौसा ससुर संतोषी लाल जैन के भी अंग, त्वचा, आंखें और देह दान की जा चुकी है। अगस्त 2021 में मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में मध्य प्रदेश के युवक को दाहिना हाथ सर्जरी कर प्रत्यारोपण किया गया।
लिवर, लंग्स दो जगह भेजे
पहला ग्रीन कॉरिडोर सुबह 11.22 बजे बॉम्बे हॉस्पिटल से चोइथराम हॉस्पिटल तक लिवर पहुंचाने के लिए बना। दूसरा 11.24 बजे एयरपोर्ट तक बना। लंग्स चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल भेजे।
हाथ, किडनी इस तरह पहुंचाए
तीसरा कॉरिडोर एयरपोर्ट के लिए 11.33 बजे बनाया गया। यहां से हाथ मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल भेजे गए। चौथा कॉरिडोर सीएचएल अस्पताल तक किडनी के लिए 12.22 बजे बना।
ऑर्गन डोनेशन की सूची में हाथ हैं ही नहीं
ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट के तहत हाथों को अंग की श्रेणी में नहीं लिया जाता। सोटो इंचार्ज डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया, हम लंबे समय से हैंड ट्रांसप्लांट के बारे में विचार कर रहे थे, लेकिन डर था क्योंकि हाथ निकालना यानी डिसफिगरमेंट ऑफ बॉडी में परिवार सहमत नहीं होते। लेकिन यहां अंगदाता परिवार के साहस के कारण ही यह संभव हो पाया। बेटी आहना ने तो यह भी कहा कि अगर पैर भी किसी के काम आ सकें तो आप ले लीजिए।