इंदौर (प्रतिनिधि)। धर्म छुपाकर शादी का झांसा देने की घटनाएं बढ़ रही हैं। आरोपित ने पहले तो धर्म छुपाकर युवती से शारीरिक संबंध बनाए और फिर बाद में कथित तौर पर मतांतरण के लिए दबाव बनाया।
यह सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। इस टिप्पणी के साथ मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अल्पसंख्यक वर्ग के आरोपित की ओर से प्रस्तुत जमानत याचिका निरस्त कर दी।
आरोपित हासिम ने जमानत के लिए हाई कोर्ट के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी। उस पर धर्म छुपाकर एक युवती से शारीरिक संबंध बनाने और युवती पर अपना धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाने का आरोप है। याचिका में आरोपित ने कहा था कि युवती परिवार में विवाद होने के बाद आरोपित के साथ दिल्ली चली गई थी। युवती ने झूठा केस दर्ज कराया है। उसे जमानत का लाभ दिया जाए।
युवती ने लगाए ये आरोप
आरोपित के खिलाफ दायर एफआइआर में लड़की का आरोप है कि युवक ने दिल्ली ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया है। बाद में उसने उसे दरगाह ले जाकर मतांतरण का दबाव बनाया, तब उसे युवक के अल्पसंख्यक समुदाय से होने की जानकारी लगी। युवती का यह आरोप भी है कि शारीरिक संबंध विवाह का झांसा देकर बनाए गए थे।
कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की
तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि युवती ने धारा 164 के बयान में विवाह का झांसा देकर संबंध बनाने और जबरदस्ती मतांतरण की बात कही है। वहीं, युवक ने अपनी जमानत याचिका में यह नहीं कहा कि संबंध सहमति से बनाए गए थे। कोर्ट ने इस तरह की घटना को समाज के सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरनाक बताते हुए जमानत याचिका खारिज की है।