2024 से बड़ी आस, 9 राज्यों का चुनाव भी पास… बजट में चुनावी प्रदेशों के लिए क्या रहेगा खास?


केन्द्र की मोदी सरकार बुधवार को देश का आम बजट पेश कर रही है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार का ये आखिरी पूर्णकालिक बजट है. 2024 के चुनाव से पहले 2023 में देश के 9 बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है.

कहीं न कहीं ये आम बजट राज्यों में होने वाले चुनाव की दिशा को भी तय करेगा. ऐसे में माना जा रहा कि मोदी सरकार के बजट का फोकस चुनावी राज्यों पर हो सकता है, जहां के लिए सरकार अपना खजाना खोल सकती है?

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पांचवां (2019 के जुलाई में पूरक बजट पेश किया गया था जबकि 2020, 2021, 2022 और फिर ये 2023 का) आम बजट है. केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण बतौर वित्त मंत्री अपना पांचवां बजट पेश करेंगी. 2024 में लोकसभा चुनाव और इस साल 9 राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से लोकलुभावन होने की पूरी उम्मीद है.

दरअसल, हाल ही में दो राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. दिल्ली नगर निगम का भी चुनाव हुआ. इन तीनों चुनावों की समीक्षा करने पर राजनीतिक दृष्टि से सत्ता पक्ष की राह धीरे धीरे मुश्किल हो रही है. ऐसे में देश के आम चुनाव को ध्यान में रखकर तैयारियां चल रही हैं. बीजेपी 2019 में हारी हुई 140 से अधिक संसदीय सीटों पर विशेष तौर से फोकस कर रही है. ऐसे में वोटरों को लुभाने के लिए मोदी सरकार बजट के जरिए बड़ा सियासी दांव चल सकती है.

2023 में किन राज्यों में चुनाव?
केंद्रीय बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जब त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और इसी महीने मतदान है. देश के नौ राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव है. साल के शुरू में चार राज्यों में चुनाव हैं जबकि साल के आखिर में पांच राज्यों में चुनाव हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और मिजोरम जैसे अहम राज्य है. ऐसे में माना जा सकता है कि सरकार इन राज्यों के लिए खास योजनाओं और फंडिंग से जुड़ी घोषणाओं का तोहफा दे सकती है.

दक्षिण भारत के कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होंगे तो पूर्वात्तर के मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और मिजोरम में चुनाव हैं जबकि हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होने हैं. ऐसे में कर्नाटक, एमपी और त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार है जबकि नागालैंड, मेघालय और मिजोरम की सत्ता पर क्षेत्रीय दल काबिज है, लेकिन बीजेपी सहयोगी दल के तौर पर है.

एमपी-राजस्थान-छत्तीसगढ़ पर फोकस!
वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है तो तेलंगाना में केसीआर की पार्टी बीआरएस काबिज है. इन राज्यों के चुनाव देश की सियासत के लिहाज से बेहद अहम हैं, क्योंकि इसके बाद ठीक 2024 का लोकसभा चुनाव होना है. धारा 370 को खत्म किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन समय तय नहीं है. ऐसे में बीजेपी किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहेगी और आम बजट के जरिए इन राज्यों के सियासी माहौल को अपने पक्ष में करने का दांव चल सकती है. बीजेपी पांच साल पहले एमपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश का चुनाव हार ही नहीं बल्कि सत्ता भी गवां दिया था. ऐसे में इस बार बीजेपी का पूरा फोकस 2023 के चुनाव पर है.

जम्मू-कश्मीर में चुनाव की संभावना
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इस साल होंगे कि नहीं यह तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर के सीटों का परिसीमन हो चुका है और चुनाव कराने के लिए केंद्र की मोदी सरकार कह चुकी है कि जल्द ही चुनाव कराएं जाएंगे. जम्मू-कश्मीर के मौसम को देखते हुए अप्रैल-मई में कर्नाटक के साथ विधानसभा चुनाव कराए जाने के आसार हैं. बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अपने दम पर सरकार बनाकर एक बड़ा संदेश देना चाहती है, जिसके चलते बजट में सरकार सूबे के लिए कई अहम घोषणाएं कर सकती है.

2024 के चुनाव को साधने की कवायद
साल 2023 में 9 राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के चुनाव होते हैं तो फिर कुल 10 राज्यों में चुनाव होंगे. इन 10 राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें आती हैं, जो कुल 543 संसदीय सीटों की 17 फीसदी सीटें होती हैं. साल 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. इसीलिए बीजेपी 2023 में होने वाले सूबे के चुनाव जीतकर 2024 के चुनाव के लिए मजबूत आधार रखना चाहेगी, जिसके लिए गरीब मजदूर से लेकर किसानों और युवाओं तक को साधने की कवायद बजट के जरिए कर सकती है.

वोटबैंक के लिहाज से होगा चुनावी बजट?

बता दें कि किसान, ग्रामीण, नौजवान, ग़रीब, महिलाएं, दलित, पिछड़े, अति-पिछड़े, अगड़े, सरकारी कर्मचारी, छोटे-बड़े व्यापारी, बड़े-छोटे उद्योगपति. ऐसे कई वर्ग हैं जिन्हें वोटबैंक की तरह देखा जा सकता है. स्वाभाविक है कि चुनाव से पहले सरकार इन लोगों को खुश करने की पूरी कोशिश कर सकती है, क्योंकि विपक्ष लगातार रोजगार और किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है. लोकसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर है, लेकिन 9 राज्यों खासकर मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक के चुनाव के ठीक पहले जो बजट आ रहा है, उसे हर हाल में चुनावी बजट तो होना ही पड़ेगा.

2024 लोकसभा चुनाव से पहले रोजगार सृजन पर मोदी सरकार का सबसे बड़ा जोर है, क्योंकि विपक्षी दल इसी मुद्दे को ही बीजेपी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बना रहे हैं. ऐसे में वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा था कि कुछ प्राथमिकताएं लाल अक्षर वाली होती हैं जिसमें उन्होंने कहा कि नौकरियों का सृजन, समान धन वितरण यानि आर्थिक समानता और देश को विकास के पथ पर आगे लेकर जाना लाल अक्षर वाली प्राथमिकताओं में शामिल है.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles