PM ट्रूडो पर जांच कराने के लिए दबाव बढ़ रहा, चीन ने इसे अपमानजनक बताया

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एशिया, यूरोप में दबदबा बनाने में जुटे चीन ने कनाडा के चुनाव में दखल दिया है। बीबीसी ने कनाडा की मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि चीन ने कनाडा में 2019 और 2021 में हुए दो संघीय चुनाव में दखल दिया था। इसमें प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जीत दिलाने में मदद की गई थी।

माना जाता है कि इन प्रयासों से आम चुनाव के परिणाम नहीं बदले हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर आरोपों को लेकर राष्ट्रीय सार्वजनिक जांच शुरू करने का दबाव बढ़ गया है। कनाडा की चुनाव निगरानी संस्था ने कहा है कि वह चीनी हस्तक्षेप के आरोप की जांच करेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने 2019 के चुनावों में 11 उम्मीदवारों का समर्थन किया था। एक मामले में 2.5 लाख डॉलर से ज्यादा दिए गए। 2021 के चुनाव में चीनी राजनयिकों और प्रॉक्सी अभियानों के लिए अघोषित तौर पर पैसे दिए गए। चीनी अधिकारियों ने कहा कि चुनाव में दखल के आरोप निराधार और अपमानजनक हैं।

जस्टिन ट्रूडो तीसरी बार कनाडा के प्रधानमंत्री बने हैं। वे 2015 से सत्ता में हैं और 6 साल के अंदर तीसरी बार चुनाव जीते हैं। हालांकि उनकी सरकार को पूर्ण बहुमत हासित नहीं हुआ।

चीन ने नीति प्रभावित करने के लिए चलाया अभियान
रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनावी दखल का ऑपरेशन टोरंटो में चीन के वाणिज्य दूतावास से चलाया जा रहा था। इसके पीछे का मकसद सांसदों के ऑफिस में अपने लोगों को रखे जाने और नीतियों को प्रभावित करना था। अगर यह साबित होता है तो आपराधिक आरोप लगाए जा सकते हैं।

कनाडा की खुफिया एजेंसी के प्रमुख डेविड विगनेअर्ल्ट कह चुके हैं कि चीन की कम्युनिष्ट पार्टी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के पास चीन के विदेश मंत्रालय से ज्यादा बजट है। इसी पर विदेशों में दखल का आरोप है। यही वजह है कि चीनी राष्ट्रपति यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट को जादुई हथियार बताते हैं।’

कनाडा की कुल आबादी में करीब 16 लाख भारतीय मूल के लोग हैं। इनमें से करीब 5 लाख सिख समुदाय के नागरिक हैं। तीसरी सबसे बड़ी पार्टी NDP के नेता जगमीत सिंह हैं।
कनाडा की कुल आबादी में करीब 16 लाख भारतीय मूल के लोग हैं। इनमें से करीब 5 लाख सिख समुदाय के नागरिक हैं। तीसरी सबसे बड़ी पार्टी NDP के नेता जगमीत सिंह हैं।

गुप्त हथियार: चीन का यूनाइटेड फ्रंट डिपार्टमेंट दूसरे देशों में दखल के लिए ही काम करता है
दूसरे देशों में दखल के पीछे चीन का यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट है। इसमें शिक्षकों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, छात्रों, उद्योगपतियों और दूसरे प्रभावशाली लोग शामिल हैं। 1949 में माओ ने इसे देश से बाहर लागू किया। यह दो तरह से काम करता है। पहला- अगर कोई व्यक्ति या संस्था चीन के प्रति उदार है तो उसे पाले में खींच लो। दूसरा- जो विरोध में हो, उसके खिलाफ दुष्प्रचार करो। यहां दखल के कुछ मामले।

  • ब्रिटेन में दखल: बीते साल जनवरी में रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई5 ने चेतावनी दी थी सांसद खतरे में हैं। यूनाइटेड फ्रंट के लिए काम करने वाली चीनी मूल की क्रिस्टीन ली ब्रिटेन के सत्ता-प्रतिष्ठान में पकड़ रखती हैं। आशंका है कि उन्होंने चीन के लिए ब्रिटिश नीतियों को प्रभावित किया। ली ने कई बार ब्रिटिश सांसदों, दलों, उभरते नेताओं के चंदा दिया था।
  • क्रिस्टीन ली को 2019 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे अवॉर्ड भी दिया था। रिपोर्ट सामने आने के बाद अवॉर्ड वापस ले लिया गया था।
  • 2011 में न्यूजीलैंड: यांग जियान को संसद के लिए चुना गया था। यांग उससे पहले 15 साल तक चीन की मिलिटरी इंटेलिजेंस के लिए काम कर चुके थे। वह यूनाइटडे फ्रंट से भी जुड़े रहे। सांसद के तौर पर उन्होंने चीन के पक्ष में नीतियां बनाने की कोशिश की।
  • 2017 ऑस्ट्रेलिया: सीसीपी से जुड़े दानदाताओं ने ऑस्ट्रेलिया के कई दिग्गज नेताओं को चंदा दिया था। इसके बदले वे ऑस्ट्रेलिया की चीन-नीति को प्रभावित करना चाहते थे। जानकारी बाहर आते ही लेबर पार्टी के सीनेटर सैम दस्तारी ने इस्तीफा दिया।
  • 2020 ताइवान: राष्ट्रपति चुनाव में चीन ने ताइवानी मीडिया संस्थानों पर दबाव डाला था कि वे हान क्यो-यू के पक्ष में खबरें छापें। हान हार गए।
  • अमेरिका : बीते मिड-टर्म चुनाव में चीन फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स के सहारे पसंदीदा उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बना रहा था।

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