सुप्रीम कोर्ट आज 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन से मुआवजा बढ़ाने के लिए केंद्र की क्यूरेटिव याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जो अब डॉव केमिकल्स के स्वामित्व में है। बता दें कि त्रासदी में 3,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा था।
न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका पर दलीलें सुनने के बाद 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं। केंद्र ने 1984 की त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की है।
दिसंबर 2010 में दाखिल की गई थी याचिका
केंद्र ने मुआवजे (1984 Bhopal Gas Tragedy) में बढ़ोतरी के लिए दिसंबर 2010 में शीर्ष अदालत में एक उपचारात्मक याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (UCC) की उत्तराधिकारी फर्मों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भारत सरकार ने 1989 में मामले के निपटारे के समय कभी ये सुझाव नहीं दिया कि पीड़ितों को दिया गया मुआवजा अपर्याप्त था।
फर्मों के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि 1989 के बाद से रुपए का अवमूल्यन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अब मुआवजे की मांग का आधार नहीं बन सकता है। जहरीली गैस के रिसाव से होने वाली बीमारियों के लिए पर्याप्त मुआवजे और उचित चिकित्सा उपचार के लिए इस त्रासदी से बचे लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं।