देवकीनंदन बोले- नाम के आगे लिखें सनातनी शुक्रवार को एक जगह इकट्‌ठा होकर कुछ लोग दुनिया तक मैसेज पहुंचा देते हैं

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कानपुर में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “हिंदुओं को जगाने के लिए सोशल साइट्स पर बड़ी मुहिम छेड़नी पड़ेगी। सोशल साइट्स पर जिनके भी अकाउंट हैं, उन्हें अपने नाम के आगे सनातनी लिखना होगा। ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी एक पोस्ट पर हम उनकी मदद के लिए एकत्रित हो सकें।”

सवाल : सोशल साइट्स के जरिए लगता है कि सनातन धर्म की बड़ी लड़ाई लड़ी जा सकती है?
जवाब :
 सोशल साइट्स पर लड़ाई भले ही न लड़ सकें, लेकिन बड़ा मैसेज तो दिया ही जा सकता है। हर एक सनातनी को सोशल साइट्स पर अपने नाम के आगे सनातनी लिखना चाहिए। देश में कुछ लोग शुक्रवार को अपने देव स्थान पर एकत्रित होते हैं।

देश-दुनिया में एक जगह से मैसेज दे देते हैं। लेकिन, सनातनियों के पास ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है। हम सभी को एक स्टेज पर आना होगा। सोशल साइट्स पर रोजाना सनातनी लिखकर ट्रेंड कराना चाहिए। ये सभी की जिम्मेदारी है।

सवाल : सनातनी बोर्ड का गठन क्यों होना चाहिए? सरकार इसे क्यों बनाए और इससे क्या बदलाव आएगा?
जवाब :
 सनातनी बोर्ड क्यों नहीं होना चाहिए? हमारी मांग नाजायज है क्या‌? सरकारी किसकी है? वोट कौन देता है? वक्फ बोर्ड क्यों बनाया गया? वे किसी भी जगह पर हाथ रख देते हैं और कहते हैं कि वह जगह हमारी है।

सनातनी बोर्ड बनाया जाना चाहिए। उसमें धर्माचार्यों की नियुक्ति होनी चाहिए। बोर्ड के तहत गुरुकुलम स्कूल खोले जाने चाहिए। हमारी छह-छह महीने की बच्चियों से बलात्कार हो रहा है। आखिर हम कब जागेंगे?

सवाल: धर्माचार्यों को विधायक और सांसद बनकर विधायिका में बैठना चाहिए। इससे क्या फर्क पड़ेगा?
जवाब:
 संसद और विधानसभा में धर्माचार्यों को जाना चाहिए। अभी हैं, लेकिन इनकी संख्याबल काफी कम है। सरकारों को बढ़ावा देना चाहिए। संसद में धर्माचार्य होते, तो लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे कानून नहीं बन पाते।

सवाल : OTT प्लेटफार्म पर आने वाली वेब सीरीज पर क्या कहेंगे?
जवाब :
 सरकार को चाहिए इस पर पूरी तरह पाबंदी लगा दे। ससुर-बहू के साथ है, बहन और भाई में कोई फर्क नहीं दिखाया जाता…। ऐसा कंटेंट किसे देखना है? ये हमारा कल्चर नहीं है। 10 साल का बच्चा OTT पर ये सब देखेगा, तो आगे वो क्या सीखेगा?

वो बहन को बहन समझेंगे ही नहीं। समाज को अच्छा बनाने के लिए समाज की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसकी जिम्मेदारी पत्रकार, नेता, कलाकारों, कथाकारों और समाजसेवियों के साथ सभी को उठानी होगी।

कथावाचक के भजनों पर मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करती राधा-कृष्ण की भक्त।
कथावाचक के भजनों पर मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करती राधा-कृष्ण की भक्त।

सवाल : काशी, मथुरा की लड़ाई कानूनी तरीके से जैसे लड़ी जा रही है, उससे आप कितना संतुष्ट हैं?
जवाब :
 मैंने कानपुर में कुछ साल पहले यात्रा निकाली थी, राम मंदिर के लिए। उस वक्त हमने कहा था, तीन जगह हमें दे दो। उन्होंने नहीं दी। कोर्ट का जरिया उन्होंने छोड़ दिया। कोर्ट के जरिए से मथुरा भी लेंगे और काशी भी लेंगे। मथुरा और काशी स्वतंत्र हुआ, तो देश और प्रदेश में सनातनी सरकारें बनती रहेंगी।

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