इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाया है। शुक्रवार को एडवोकेट विभू राय की याचिका पर सुनवाई करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।
साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार को भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। कहा कि प्रदेश में जहां-जहां गड़बड़ी है, वहां तत्काल व्यवस्था बहाल की जाए। कोर्ट ने 20 मार्च को हड़ताली कर्मचारी नेताओं और विभाग के अधिकारियों को तलब किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा- कर्मचारियों ने अवमानना की
यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने दिया। दरअसल, एडवोकेट विभू राय ने अपनी याचिका में कहा था कि बिजली कर्मचारियों ने प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरू किया है। लेकिन हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार दे दिया था। इसके बाद भी हड़ताल की गई, जो कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। इसे अवमानना की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
इन मांगों को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर
बिजली कर्मचारियों में वेतन विसंगतियों और बिजली कंपनियों में अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक के लिए चयन प्रक्रिया को लेकर गुस्सा है। इसको लेकर गुरुवार को कर्मचारी 72 घंटे के लिए हड़ताल पर चले गए। इससे कई जिलों में बिजली सप्लाई बाधित हो गई।
सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम यानी एस्मा लगा दिया। हड़ताल को देखते हुए फिलहाल सरकार अलर्ट है।