भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट नेता कर रहे हाथी की सवारी
भोपाल । मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां सक्रिय हो गई हैं। भाजपा और कांग्रेस के बाद बसपा भी मैदान में कूद गई है। बसपा प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे खोई ताकत हासिल करने में जुट गई है। कांशीराम की जयंती के मौके पर कार्यक्रम आयोजित कर बसपा ने भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट जिताऊ नेताओं को पार्टी में शामिल करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसी के साथ पार्टी ने ऐलान किया है कि वह प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
प्रदेश में बसपा का ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में जनाधार है। 2003 में पार्टी को 7.26, 2008 में 8.72 और 2013 के विधानसभा चुनाव में 6.29 प्रतिशत मत मिले थे। 2018 के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा और 5.1 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए। भिंड और पथरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशियों को विजय मिली। हालांकि, भिंड से विधायक संजीव कुशवाह भाजपा में शामिल हो गए हैं। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल का कहना है कि भले ही हमारे दो प्रत्याशी चुनाव जीते थे पर कई क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवार दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं। आगामी चुनाव में पार्टी निर्णायक भूमिका में रहेगी। इसके लिए संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है।
जिताऊ उम्मीदवारों पर नजर
विधानसभा चुनाव के पहले बसपा ने जिताऊ उम्मीदवारों की जोड़तोड़ शुरू कर दी है। बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती के मौके पर 15 मार्च को बसपा ने मप्र के चारों जोन में बड़े आयोजन किए। ग्वालियर, रीवा, उज्जैन और सीहोर के कार्यक्रमों में भाजपा और कांग्रेस से नाराज नेताओं ने बसपा की सदस्यता ली। 2023 के चुनाव के लिए ग्वालियर चंबल अंचल सभी राजनीतिक दलों के लिए खास है। इसलिए ग्वालियर में आयोजित सम्मेलन में बीएसपी के निशाने पर सीधे सिंधिया रहे। ग्वालियर सम्मेलन में दूसरी पार्टियों के करीब एक दर्जन छोटे बड़े नेताओं ने बसपा का दामन थामा। ग्वालियर में निवाड़ी के पूर्व जनपद उपाध्यक्ष भाजपा नेता अवधेश प्रताप सिंह राठौर ने बसपा की सदस्यता ली। प्रदेश के मुख्य प्रभारी बीएसपी के राज्यसभा सांसद रामजी गौतम ने कहा कि मप्र में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और इस बार कम से कम 111 सीटों पर जीत हासिल करेंगे।
बसपा ने प्रदेश को चार जोन में बांटा
आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने मप्र को चार जोनों में बाटा है। बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने बताया कि हमारी पार्टी ने 13-13 जिलों को मिलाकर मप्र में चार जोन बनाए हैं। इस तरह मप्र के 52 जिलों को बसपा ने चार भागों में भाग लिया है। मप्र के ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी की मजबूत स्थिति है। साल 2018 के विधानसभा चुनावों में चंबल-ग्वालियर में बसपा ने अपनी मजबूत दावेदारी दिखाई थी। बसपा बीते चुनाव में जहां दो सीट लाने में कामयाब रही थी, तो वहीं ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अधिकांश सीटों पर बसपा दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी। मप्र में सत्ता हासिल करने के लिए ग्वालियर चंबल अंचल शुरू से ही खास रहा है। यही वजह है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के बाद अब बीएसपी ने भी चुनावी ताल ठोक दी है। ग्वालियर चंबल अंचल सहित उत्तर प्रदेश से सटी मप्र की विधानसभा सीटों पर बीएसपी का वोट शेयर 10 से लेकर 25 फीसदी तक रहा है। लिहाज़ा 2023 में भी बीएसपी इन्हीं सीटों पर बेहतर संभावना मानकर चल रही है। इसी के चलते बीएसपी इन इलाकों में भाजपा कांग्रेस की बजाय सीधे सिंधिया को टारगेट कर रही है।
मप्र में जड़ें मजबूत करने में जुटी बसपा
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही बसपा मप्रा में जड़ें मजबूत करने में जुट गई है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने बड़ा बदलाव करते हुए मप्र संगठन को चार जोन (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और रीवा) में बांट दिया है। इसके साथ ही 26 जिला प्रभारी और छह जिला अध्यक्ष बदल दिए हैं। पार्टी का पूरा जोर इस बात पर है कि संगठन को वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मुकाबले के लिए तैयार किया जाए। इसके लिए अब जिला और ब्लाक स्तर पर गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। प्रदेश में बसपा की स्थिति दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है। पार्टी ने वर्ष 1993 और 1998 के विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक 11-11 सीटें जीतीं थीं। तब मप्र और छत्तीसगढ़ एक राज्य हुआ करते थे। इसके बाद बसपा कभी इस स्थिति में नहीं पहुंच सकी। अलबत्ता ग्वालियर-चंबल और विंध्य क्षेत्र में पार्टी का खासा प्रभार बना रहा। पार्टी ने यहां भाजपा और कांग्रेस के खेल को बिगाडऩे का काम किया।