इंजीनियर युवती की ड्रेडलॉक हेयर आर्टिस्ट बनने की कहानी यहां होता है साधु-संतों का हेयर मेकअप, भोपाल में देश का पहला ब्रेडिंग स्टूडियो

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आपने कई साधु-संतों की लंबी लंबी जटाएं देखी होगी। किसी के पैरों तक आती, किसी के सिर पर पगड़ी की तरह लपेटी, तो किसी के जूड़े के रूप में। आखिर ये अपनी इन जटाओं के सजाते, संवारते कैसे हैं। इसका जवाब हैं भोपाल की ड्रेडलॉक हेयर आर्टिस्ट करिश्मा शर्मा। पेशे से इंजीनियर करिश्मा शर्मा साधुओं की सेवा उनकी जटाओं को संवारकर करती हैं।

करिश्मा का भोपाल के मिनाल रेसीडेंसी स्थित ‘ऐलिजियन’ स्टूडियो है, जहां वह साधुओं के बालों को संवारती हैं। उनका साधारण लड़की से ड्रेडलॉक हेयर आर्टिस्ट बनने तक का सफर आसान नहीं रहा। जानते हैं कम्प्यूटर इंजीनियर कैसे बन गई हेयर आर्टिस्ट…।

लेडी इंजीनियर की कहानी… उन्हीं की जुबानी…

करिश्मा ने बताया कि साल 2012 की बात है। पहली बार छिंदवाड़ा से भोपाल आई। यहां एलएनसीटी कॉलेज में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। ब्रांच थी कम्प्यूटर साइंस। साल 2016 में इंजीनियरिंग कंप्लीट किया। इंजीनियरिंग तो सिर्फ एकेडमिक के लिए था, लेकिन मन कुछ और ही करना चाहता था। हालांकि इंजीनियरिंग भी बेमन से ही किया। इंजीनियरिंग के दौरान लगता था कि हर इंसान पढ़ाई के चक्कर में बस दौड़ रहा है। दूसरी तरफ मैं मानती थी कि जिंदगी में जो भी करूं, कुछ अलग करूं। इसी के चलते पढ़ाई के साथ यह काम शुरू किया।

डिग्री पूरी होने के बाद भोपाल में ही टैटू की ट्रेनिंग शुरू कर दी। करीब एक साल ट्रेनिंग की। यहीं एक साल तक जॉब भी की। एक साल बाद मिनाल क्षेत्र में छोटा सा पार्लर शुरू किया। शुरुआत में सिर्फ एक चेयर थी। ज्यादा संसाधन भी नहीं थे। जब परिवारवालों को पता चला कि मैंने हेयर पार्लर शुरू किया है, तो बहुत नाराज हुए। असल में बचपन में मैं साधारण लड़की थी। आर्ट फील्ड में शुरुआत मेले में जाने से हुई। वहां 10- 10 रुपए के टैटू गुदवाती थी।

दूसरी तरफ फैमिली का छिंदवाड़ा में छोटा सा पार्लर भी है। इससे मुझे मदद मिली। परिवार की माली हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी, इसलिए वे चाहते थे कि मैं इंजीनियरिंग के बाद जॉब करूं। यही कारण है कि नाराजगी के चलते दो-तीन साल तक मुझसे बात तक नहीं की। लोगों ने भी मुझे क्या कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं पीछे नहीं हटी। अब जब मैं सक्सेस हूं, तो वही लोग मुझे एप्रिशिएट करते हैं। इन दिनों टैटू, पीयरर्सिंग और ड्रेडलॉक आदि जैसे काम करती हूं।

करिश्मा शर्मा रोजाना साधुओं की जटाएं संवार रही हैं। यही नहीं, उन्होंने खुद भी अपने बाल साधु जैसे रखे हुए हैं।

साधुओं के बाल संवारना चैलेंजिंग

करिश्मा के मुताबिक कई महिला व पुरुष साधु मेरे पास बालों को ठीक करवाने आते हैं। यह अपने आप में चैलेंजिंग है। इनके बालों को संवारने के लिए बालों को प्रॉपर तरीके से क्लीन करना पड़ता है। कई बार इनके बालों में क्रोशिया की पिन अंदर नहीं जाती है। क्योंकि 20-30 साल तक जिनके बालों में घी, हल्दी आदि जैसी चीजें जाती हैं। जो पूरी तरह से सख्त हो जाती हैं। इस काम को करने के लिए मैन पॉवर के साथ कई बार तीन से चार दिन भी लग जाते हैं। ऐसे में सब्र की भी जरूरत होती है।

करिश्मा बताती हैं कि साधुओं के बालों को ट्रीट करना अपने आपमें चैलेंजिंग है। इसमें काफी मेहनत लगती है।
करिश्मा बताती हैं कि साधुओं के बालों को ट्रीट करना अपने आपमें चैलेंजिंग है। इसमें काफी मेहनत लगती है।

यह ट्रीटमेंट होता है साधु की जटाओं में

करिश्मा बताती हैं कि साधुओं के बाल ज्यादा लंबे और वजनी होने के कारण कई जगहों से टूट जाते हैं। इन्हें पहले से ही संभालने की कोशिश करते हैं। मगर, बीच-बीच में टूट जाने से वह परेशान होते हैं। इन बालों को टूटी हुई जगह से क्रोशिया से बुनती हूं, ताकि वह मजबूत हो जाएं। इसके बाद यह ऐसे हो जाते हैं कि अगले 10 साल तक भी परेशानी नहीं होती।

करिश्मा ने अभी तक 40 से अधिक साधुओं के बालों (जटाओं) को संवारा है। 100 से अधिक साधुओं के शिष्य व दास कॉन्टैक्ट में हैं। करिशमा बताती हैं कि मैं यह सब सेवा भाव से करती हूं। हालांकि यह आर्ट मंहगा है। मेरा सौभाग्य है कि मैं ऐसे लोगों के लिए कुछ कर पा रही हूं जो कि पहले से इतनी तपस्या कर चुके हैं।

करिश्मा ने अभी तक 40 से अधिक साधुओं के बालों (जटाओं) को संवारा है। 100 से अधिक साधुओं के शिष्य व दास कॉन्टैक्ट में हैं।
करिश्मा ने अभी तक 40 से अधिक साधुओं के बालों (जटाओं) को संवारा है। 100 से अधिक साधुओं के शिष्य व दास कॉन्टैक्ट में हैं।

युवाओं में भी ड्रेडलॉक का क्रेज

करिश्मा बताती हैं कि इन दिनों युवाओं में भी ड्रेडलॉक हेयर का क्रेज है। यह मंहगा ट्रीटमेंट है। हम रियल हेयर्स से कई तरह के स्टैंड बनाते हैं। इसकी कीमत 200 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक की बनती है।

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