बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का ऐलान जल्द ही मुस्लिमों के बीच होगी कथा, कटनी के तनवीर ने जताई है इच्छा

जबलपुर के पनागर में बागेश्वर धाम का सोमवार को “दिव्य दरबार” लगा जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। दरबार में पहुंचे हर किसी की इच्छा थी कि बागेश्वर धाम तक वो पहुंच कर अपनी समस्या रखें। इस दिव्य दरबार में अमेरिका से भी भाई-बहन शामिल होने पहुंचे। दिव्य दरबार में आज अमेरिका के कैलिफोर्निया से आए भक्त दिल्ली में रहने वाली बहन के साथ दरबार में पहुंचे। उन्होंने बताया कि वो छतरपुर बागेश्वर धाम के दर्शनों के लिए गए थे, पता चला कि दरबार जबलपुर में लगा है तो यहां आ गए।

अमेरिका से आए व्यक्ति ने बताया कि भीड़ बहुत थी देख कर लौटने लगा थे कि आपने मंच पर बुला लिया। अचानक बुलावे और मन के प्रश्न जान लेने पर वो अवाक हो गए। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिव्य दरबार में आए व्यक्ति से पूछा कि आपका बिजनेस क्या है तब उस व्यक्ति का कहना था कि शराब का व्यवसाय करता हूं। बागेश्वर महाराज ने कहा कि 2017 से सरकारी रुकावटों के कारण परेशानी बढ़ रहीं है। आपको सरकार परेशान कर रहीं है। बिजनेस में नुकसान हो रहा है। बच्चे बात नहीं मान रहें है।

जबलपुर के पनागर में चल रहीं श्रीमद् भागवत कथा में चल रही कथा के दौरान सोमवार को पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच कथा करने का ऐलान किया है। जबलपुर में हजारों लोगों से भरे पंडाल में कटनी के तनवीर खान नाम के व्यक्ति का जिक्र पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने किया। उन्होंने कहा कि कटनी निवासी तनवीर खान ने तीन दिनों तक कथा करवाने की इच्छा जताई हैं। इस दौरान उन्होंने मुस्लिमों को ‘टोपी’ के रूप में संबोधित करते हुए कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा कि अब वह मुस्लिमों के बीच भी कथा सुनाएंगे। इसकी शुरुआत एमपी के कटनी से होगी।

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि मुस्लिमों के बीच कथा करवाने की कटनी के तनवीर खान ने इच्छा जाहिर की हैं। तनवीर के आमंत्रण को हमने स्वीकार कर लिया हैं। हालांकि अभी तारीख तय नहीं कि उनकी तीन दिन की प्रस्तावित कथा कब होगी? कथा होगी तो फिर दिव्य दरबार लगने की भी संभावना है। पंडित जी ने इस दौरान मुस्लिमों के पहनावे पर भी कटाक्ष किया। बोले कि ‘सब टोपी वालों को आने दो और सब को एक होने दो’। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसी कथा का पहला अवसर होगा। पंडाल में किसी के आजू-बाजू कौन बैठा है, यह कोई नहीं जानता। भगवान की कथा ही एकता और शांति ला सकती है। संसार को जोड़ने का माध्यम सिर्फ कथा ही हैं।

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