आगर में रेल सेवा की पुनः बहाली की मांग की जा रही है। इसको लेकर क्षेत्रवासियों ने आवाज बुलंद करना शुरू की है। उज्जैन-झालावाड़ व्हाया आगर रेलवे लाइन जनजागरण मंच आगर मालवा ने इसको लेकर बुधवार को ज्ञापन सौंपा। विजय स्तंभ चौराहा पर भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर हस्ताक्षर अभियान चलाया। यहां से वाहन रैली निकाली।
वाहन रैली छावनी नाका चौराहा होती हुई कलेक्टर कार्यालय पहुंची। यहां प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन अधीक्षक भू-अभिलेख प्रीति सिंह को सौंपा गया। ज्ञापन ने बताया कि वर्ष 1932 से1975 तक उज्जैन से आगर तक एक नैरोगेज रेलवे ट्रैक था, इसे आपातकाल में तात्कालिक भारत सरकार द्वारा यह कहते हुए, डिसमेटल कर दिया गया था, कि इस ट्रेन को बड़ी लाइन में बदल कर उज्जैन से रामगजमंडी व्हाया आगर किया जाएगा। तब से अब तक 48 सालों से इस क्षेत्र की जनता इस रेलवे लाइन की स्वीकृति की बाट जोह रही है।
आगर जिला पिछड़ा आरक्षित जिला
ज्ञापन में बताया कि आगर जिला एक पिछड़ा आरक्षित जिला है। यहां दो विधानसभा है और जिले को दो लोकसभा क्षेत्र में बांटा गया है, उज्जैन से लेकर झालावाड़ तक चार लोकसभा और आठ विधानसभा के क्षेत्र लगते हैं। आगर जिले की सीमा में एक भी रेलवे स्टेशन नहीं है। जिले की सीमा, उज्जैन, शाजापुर राजगढ़ और राजस्थान के झालावाड़ जिले से लगती है।
नहीं कोई उद्योग ना रोजगार
इस क्षेत्र में ना तो कोई बड़ा उद्योग है और ना ही रेलवे लाइन है। गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे, इस क्षेत्र को यदि रेलवे ट्रैक की स्वीकृति प्रदान की जाती है, तो संपूर्ण जिले के साथ ही आसपास के जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों को इसका लाभ मिलेगा। आगर जिले को उसका आपातकाल में खोया गौरव रेलवे लाइन मिल जाएगी। इससे इस क्षेत्र का चहुमुखी विकास होगा।