अमावस्या पर्व पर गुरूवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा में स्नान कर दान-पुण्य अर्जित कर रहे हैं। पंचक्रोशी यात्रा का समापन होने से ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने सुबह से ही शिप्रा में डुबकी लगाई। श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान के बाद अष्टतीर्थ यात्रा के लिए रवाना होने लगे थे। एक दिन पहले यात्रा पूरी करने वाले श्रद्धालु अष्टतीर्थ की यात्रा सम्पन्न कर अमावस्या को शिप्रा स्नान के बाद घर के लिए रवाना हो गए।
बुधवार को पंचक्रोशी यात्रा से नगर प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं ने शिप्रा तट पर रात्रि विश्राम कर गुरूवार को सुबह अमावस्या पर शिप्रा के रामघाट पर स्नान किया। स्नान का क्रम सुबह से शुरू हो गया था। स्नान के बाद पंचक्रोशी यात्री भूखी माता, रणजीत हनुमान के रास्ते अष्ट तीर्थ के दर्शन करते हुए मंगलनाथ जाएंगे। माना जाता है कि अष्टतीर्थ यात्रा के बाद ही पंचक्रोशी यात्रा का समापन होता है। अष्टतीर्थ यात्रा सम्पन्न होने के बाद ही यात्री अपने घरों के लिए रवाना होते है। अमावस्या पर ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु अधिक संख्या में स्नान और दान-पुण्य के लिए आते हैं। अमावस्या पर्व काल में रामघाट और सिद्धवट घाट पर भी लोगों ने अपने पितरों के निमित्त पिंडदान-तर्पण, पूजन किया।
प्रशासन ने शिप्रा घाट पर की व्यवस्था
जिला प्रशासन ने पंचक्रोशी यात्रा को देखते हुए दो पहले से ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए थे। घाट पर तैराक दल के साथ होमगार्ड के जवान भी मंगलवार से ही घाट से तैनात किया था। कारण है कि शिप्रा में इन दिनों पानी बढ़ा हुआ है। वहीं फिसलन की समस्या भी है। ऐसे में कोई हादसा नही हो इसके लिए इंतजाम किए गए थे। रामघाट चौकी से श्रद्धालुओं के लिए एनाउंसमेंट से सूचनाएं भी प्रसारित की जा रही थी। नगर निगम ने घाट पर सफाई के इंतजाम किए थे। हालांकि महिलाओं को वस्त्र बदलने में शेड नही होने से परेशानी हुई।