उज्जैन। मंगलवार को चतुर्थी होने से अंगारकी चतुर्थी का योग बना है। जिहाजा श्री मंगलनाथ और श्री अंगारेश्वर मंदिर पर देशभर के श्रद्धालुओं की भीड़ भात पूजा के लिए लगी रहीे। दोनो ही स्थानों पर भौम प्रदोष और अंगारकी चतुर्थी पर यहां पूजन का महत्व बढ़ जाता है। देश भर से आने वाले श्रद्धालु यहां मंगल दोष निवारण के लिए पूजन-अभिषेक और भात पूजा कराते है।
मंगलवार को श्री मंगलनाथ मंदिर और शिप्रा नदी के तट स्थित श्री अंगारेश्वर मंदिर में अंगारकी चतुर्थी होने से देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु सुबह से पहुंचने लगे थे। श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन कर भात पूजा की। मान्यता है कि मंगलवार को चतुर्थी होने से दोनो ही स्थानों पर पूजन कराने से सभी कष्टों का निवारण होता है। ज्येष्ठ मास में भगवान शिव को जल अर्पण करने का अधिक महत्व है। ऐसे में चतुर्थी पर भगवान मंगलनाथ और श्री अंगारेश्वर महादेव को जल अर्पण के पश्चात पूजन कराया जाता है तो इसका दोगुना फल प्राप्त होता है।
मंगलवार को चतुर्थी तिथि होने से बढ़ जाता है महत्व
अंगारेश्वर मंदिर के पुजारी रोहित उपाध्याय के अनुसार मंगलवार को चतुर्थी का विशेष दिन होता है। चतुर्थी के दिन भगवान मंगल का पूजन करने से अंगारेश्वर पर पूजन करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। देशभर से भक्त यहां आकर अंगारेश्वर भगवान का पूजन-अभिषेेक कर भात पूजा कराते है। भगवान गणेश का जन्म चतुर्थी तिथि को हुआ था, इसलिए यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। चतुर्थी तिथि मंगलवार को हो तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार अंगारकी चतुर्थी ज्येष्ठ मास के दौरान मंगलवार को आई है।
अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने मिलता है फल
मान्यता है कि अंगारक अर्थात मंगलदेव ने गणेशजी की कठिन तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर गणपति ने वरदान दिया था कि जिस दिन चतुर्थी तिथि मंगलवार को पड़ेगी, उसे अंगारकी गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा।