मक्सी झोंकर , श्री पूरणधाम रामद्वारा में चल रहे चातुर्मास में रामद्वारा के महन्त रमताराम जी महाराज ने कहा कि, मानव जीवन मोक्ष प्राप्त करने के लिए है, भजन नही करने वाले का पतन होता ही है, मानव जीवन का लक्ष्य भोग नहीं, भजन हैं। समभाव सद्भाव सिद्ध करने के लिए सत्संग की आवश्यकता है। मानव जन्म परमात्मा की आराधना और तप करने के लिए है, भोगों का उपभोग तो पशु भी करते हैं, यदि मनुष्य भी यही करने लगेगा तो पशुओं एवं मनुष्य में अंतर ही समाप्त हो जाएगा। प्रभु ने मनुष्य को बुद्धि दी है, पशु को बुद्धि नहीं दी, आने वाले कल कि चिंता मानव कर सकता हैं पशु नहीं, इसलिए मनुष्य को चाहिए आपने विवेक को जागृत कर सत्संग के द्वारा प्रभु भक्ति में लगे, महन्त जी ने बताया कि सभी में ईश्वरीय भाव रखना ही तप है, सभी में राम विराजमान हैं, ऐसा अनुभव करना महान तप है। अर्थात अंत: करण की पवित्रता से हृदय में सदा सर्वदा शांति और प्रसन्नता रहेगी। वासना को नष्ट करने का यही श्रेष्ठ उपाय सद्भाव रखना है! श्रद्धा परमात्मा में ध्रुव की तरह अटल होनी चाहिए। सत्संग में लालवास जी महाराज, दयाराम जी सिसोदिया, सुभाष जी देथलिया, अमरसिंग प्रजापत आदि भक्त उपस्थित हुए।