(रिपोर्ट दुर्गाशंकर टेलर)आगर मालवा जिले में महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा गया आपको बता दे की करवा चौथ को लेकर आज महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. आगर जिले में महिलाओं ने कई दिन पहले से करवा चौथ की तैयारी शुरू कर दी थी आज सुबह से ही व्रत को लेकर महिलाएं उत्साहित दिख रही हैं. करवा चौथ के दिन महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास में रही इसके बाद शाम होने पर करवा चौथ की पूजा अर्चना करके कथा सुनी जाती है. इसी कड़ी में करवा चौथ के मौके पर पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं व्रत : आज के दिन महिलाएं रंग बिरंगी परिधान में 16 सिंगार करके करवा चौथ व्रत का पूजा करती हैं भविष्य दर्पण समाचार पत्र से बातचीत के दौरान सुहागिन महिलाओं ने कहा कि यह व्रत पति की सौभाग्य और लंबी उम्र के लिए रखी जाती है
कहीं पर महिलाएं करवे में गेंहू भरती हैं और इसके ढक्कन में चीनी भरती है, तो वहीं कुछ जगहों पर एक करवे में जल और दूसरे में दूध भरा जाता है, साथ ही इसमें चांदी या तांबे का सिक्का भी डाला जाता है। तो वहीं कई जगहों पर करवे में चिड़वा और मिठाई भरने का रिवाज है
करवा चौथ मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों का त्योहार है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी सुहागिन स्त्री अपने पति के लिए व्रत उपवास करती है उसके पति को दीर्घायु के साथ आपसी सामंजस्य भी बनता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है और चन्द्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवाचौथ का व्रत रखने का चलन कब शुरू हुआ और करवा चौथ व्रत का इतिहास क्या है। बताया जाता हैं कि करवा चौथ क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास क्या है
कई प्राचीन कथाओं के अनुसार करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे ह्रदय से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में सभी देवताओं की जीत हुई। इस विजय के बाद सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था और तभी से चांद के पूजन के साथ करवा चौथ व्रत का आरंभ हुआ।