चीता, चेतक को विदाई देने की तैयारी ! अब ध्रुव बढ़ाएगा फौज की ताकत

चीता और चेतक हेलिकॉप्टर पिछले पचास साल से भारतीय सेना की ताकत बने हुए हैं |लेह और सियाचिन के इलाकों में इन हेलिकॉप्टर ने अपनी उपयोगिता को साबित भी किया है |लेकिन अब इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा |  इनकी जगह ध्रुव हेलिकॉप्टर को शामिल किया जाएगा |बता दें कि ध्रुव हेलिकॉप्टर, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे हैं,सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इनमें बदलाव भी किए जा रहे हैं |

चीता, चेतक को विदाई देने की तैयारी ! अब ध्रुव बढ़ाएगा फौज की ताकतचीता और चेतक हेलिकॉप्टर भारतीय फौज की शान रहे हैं. लेकिन अब इन्हें सेना से धीरे धीरे रिटायर किया जाएगा |

इसलिए खास है ध्रुव

एचएएल जिन ध्रुव हेलिकॉप्टर बना रहा है उनमें ऑटो पायलट को फिट किया गया है | इसके पीछे का मकसद यह है कि ये हेलिकॉप्टर ज्यादा से ज्यादा लोड उठा सकें | इसके साथ ही अधिक ऊंचाई पर भी उड़ सकें |

HAL को ध्रुव बनाने की जिम्मेदारी

चीता और चेतक की जगह लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर(ध्रुव) को शामिल किया जाएगा | ध्रुव हेलिकॉप्टर बनाने की जिम्मेदारी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को मिली है | इसके अलावा कुछ हेलिकॉप्टर को लीज पर लिया जाएगा |

सेना के पास इतने चीता-चेतक
आर्मी की एविएशन कोर के पास करीब 190 चीता, चेतक और चीतल हेलिकॉप्टर हैं | इनमें से पांच की उम्र तो 50 साल से भी अधिक है | जबकि 130 हेलिकॉप्टर 25 से 50 साल तक पुराने हैं |
हादसों को बताया गया वजह
चीता और चेतक को हटाये जाने के पीछे पिछले कई वर्षों में दुर्घटना को बताया जा रहा है | हालांकि सेना का मानना है कि इनकी क्षमता में किसी तरह की कमी नहीं आई है और ध्रुव हेलिकॉप्टर के शामिल होने तक ये काम करते रहेंगे |
लेह-सियाचिन में खास भूमिका
चीता, चेतक हेलिकॉप्टर का इंडियन ऑर्मी से खास रिश्ता है | लेह और सियाचिन जैसे दुर्गम इलाके में ये रसद और सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करते हैं | लेकिन अब इन्हें रिटायर किया जाएगा | हालांकि इसमें 10 से 12 साल लगेंगे |

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