MP Election 2023: महाकाल की नगरी में किसानों का गुस्सा, चुनाव में बीजेपी को झेलना पड़ सकता है नुकसान

MP Assembly Election 2023: चुनावी सरगर्मी के बीच महाकाल की नगरी उज्जैन में किसानों में गुस्सा है। किसानों ने कहा कि बिजली इतनी ट्रिप करती है कि खेतों में पानी देना मुश्किल है। इस चुनाव में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

  • उज्जैन के किसानों में यूरिया को लेकर गुस्सा
  • इंदौर जैसा उज्जैन में नहीं है चुनावी शोर
  • महाकाल की नगरी में हिंदुत्व और मोदी का मुद्दा भी हावी
  • किसानों को नहीं मिल रही है बिजली
उज्जैन के किसानों में नाराजगी

उज्जैन: महाकाल की नगरी उज्जैन में चुनाव की गहमागहमी इंदौर जैसी नहीं दिखती। मंदिर के सामने स्टॉल लगाने वाले विनोद कहते हैं कि अभी न चुनाव का माहौल है और न ही पर्यटक। शायद कुछ दिन में प्रचार जोर पकड़े। हालांकि, चुनाव प्रचार की इस शांति के बीच महज एक दिन पहले यहां की चिमनगंज मंडी में किसानों ने खाद दो, खाद दो के नारे के साथ किया था। यूरिया की किल्लत से जूझ रहे मालवा के इस इलाके में सुबह 3 बजे से यूरिया लेने के लिए लाइन में लगे किसानों को दोपहर लौटाया दिया गया।

उनसे कहा गया कि यूरिया नहीं है। इसके बाद किसानों का गुस्सा चरम पर था। मालवा के बारे में कहा जाता है कि जो इस इलाके से जीतता है, सरकार उसी की बनती है। करीब एक महीना पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महाकाल आए थे। उन्होंने अच्छी बारिश के लिए पूजा की थी। मगर, एक महीने बाद दीपावली से ऐन पहले मालवा में सोयाबीन के जमीन पर गिरे दामों से किसान परेशान हैं। वे साफ कह रहे हैं कि चुनाव में BJP को नुकसान झेलना पड़ सकता है।

खेतों में पानी देना मुश्किल

मंडी में सोयाबीन बेचने आए पद्म सिंह कहते हैं, ‘चुनाव से पहले शिवराज सिंह ने कहा था कि एक क्लिक में किसानों के खातों में फसल बीमा के पैसे आ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बिजली इतना ट्रिप करती है कि खेतों में पानी देना मुश्किल है। लागत के मुकाबले भाव नहीं मिलता। जो सोयाबीन 6 साल पहले 6 हजार प्रति क्विंटल बेची थी, आज 4700/4800 बिक रही है। 18 साल से इस सरकार को देख रहे हैं और अब बदलने के मूड में हैं।

हिंदुत्व और मोदी फैक्टर

हालांकि, हिंदुत्व और मोदी फैक्टर का असर किसान के एक वर्ग पर दिखता भी है। ऐसे ही एक किसान विजय सिंह पाल चौधरी हैं, ‘वोट तो BJP को ही देंगे। सरकार ऐसी होनी चाहिए जो हिंदुत्व के लिए काम करे।’ ऐसा ही कुछ बड़नगर के गुंजन चौधरी ने कहा, ‘पीएम मोदी के नेतृत्व में देश विकास कर रहा है। वोट उन्हीं को देंगे।’ किसानों के एक बड़े वर्ग का कहना है कि BJP सरकार खेती-किसानी की दिक्कत को लेकर संवेदनशील नहीं है। किसानों को कांग्रेस के वादे लुभाते दिख रहे हैं, जिनमें सिंचाई पंप के लिए फ्री बिजली, कर्ज माफी जैसे मुद्दे शामिल हैं।

मसला फसल बीमा के पैसे को लेकर भी है। बीमा कंपनियां प्रीमियम तो ले लेती हैं लेकिन भुगतान अपने आकलन के बाद करती हैं, जिससे किसानों को दिक्कतें होती हैं। सरकार से मंडी व्यापारी भी खुश नहीं। मंडी दुकानों का लीज रेंट बढ़ा दिया गया है, जिसे लेकर नाराजगी है।

बेरोज़गारी है मुद्दा

उज्जैन में चुनावी पोस्टर और होर्डिंग न के बराबर दिखे। लोग कहते हैं कि शहरी इलाकों में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। कुंभ और धार्मिक पर्यटन की वजह से इन्फ्रास्ट्रक्चर की उतनी दिक्कत नहीं, लेकिन उद्योग-धंधे न होने से युवाओं के आगे कमाने खाने का संकट है। पान की दुकान चलाने वाले शब्बीर 63 साल के हैं। वह कहते हैं लोग चर्चा करते हैं कि बदलाव तो होना ही चाहिए।

“राहुल गांधी हमास के बारे में कुछ नहीं कहते ताकि भारत के हमास को बुरा न लगे”

कपड़ा दुकानदार बसंत खत्री कहते हैं, ‘हम तो मोदी को देख रहे हैं, वह देश के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। लोकल मुद्दों को इतना भाव क्यों देना। राज्यसभा में भी तो BJP को मजबूत करना है।’ लोगों में एक शंका चुनाव के बाद विधायकों के दल बदलने का भी है।

एल. एस. राठौर कहते हैं कि मध्य प्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ अनिश्चित है। परिवर्तन तो हम भी चाहते हैं, लेकिन आखिरी वक्त क्या होगा ये कौन जानता है।

महिला सुरक्षा पर नहीं कोई बात

बाजार में मुन्नी बाई जूलरी की दुकान लगाई है। उनसे सामान खरीद रहीं हिना कहती हैं कि जबसे उनकी मां ने उज्जैन में नाबालिग बच्ची के साथ दरिंदगी की खबर सुनी, उन्होंने उनका अकेले बाहर जाना बंद कर दिया। इस बात पर हैरानी जरूर होती है कि इस घटना के बारे में यहां के लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है।

हालांकि जो इस बारे में जानकारी रखते हैं, उन्होंने माना कि ऐसी घटना अब से पहले उज्जैन में कभी देखने को नहीं मिली। कांग्रेस ने इस मामले को शिवराज सरकार के खिलाफ चुनाव में मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाई। हालांकि, बात करने पर कई महिलाओं ने माना की सुरक्षा की चिंताएं तो हैं और रात में अकेले निकलना आसान भी नहीं।
महाकाल की नगरी उज्जैन दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं और इन दिनों तो राजनीति के धुरंधर यहां महाकाल का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। चाय की दुकान पर बैठे रफीक कहते हैं कि सब मंदिर तक आते हैं और वापस चले जाते हैं। उनके पास कोई नहीं आता।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles