आज से बंटेगी शराब, कंबल और पैसा ….

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हर हथकंडा अपनाने हुई तैयारियां, बनाए गए वितरण केन्द्र, केंदों में तैनात हुए प्रतिनिधियों के खास, प्रशासन और पुलिस को गुमराह करने रणनीति तैयार …


उज्जैन / आगामी विधानसभा चुनाव में प्रशासन और पुलिस महकमा जहां पिछले एक महीने से मतदाताओं को जागरूक रहकर मतदान करने की अपील करने की कवायत में जुटा हुआ है। वहीं चुनाव से चंद घंटे पूर्व मतदान प्रक्रिया को अपने पक्ष में कराने के लिए प्रत्याशियों ने शाम, दाम, दंड, भेद की रणनीति अपनाते हुए तैयारियां कर ली हैं। चुनाव से कुछ घंटे पहले मतदाताओं को प्रभावित करते हुए अपने पक्ष में करने के लिए राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के द्वारा उन्हें प्रलोभन देने के लिए शराब, कंबल, पैसे सहित अन्य सामग्रियों का वितरण करने के लिए बाकायदा वितरण केंद्र बनाए गए हैं। जहां अब तक प्रत्याशी अपने कार्यों और आगामी रणनीति को गिनाते दिखाई दे रहे थे वहीं अब चुनाव प्रचार थमने के बाद मतदाताओं को रिझाने का नया खेल चालू हो जाएगा। प्रत्याशियों की सर्वाधिक नजर मतदाताओं को रिझाने के लिए उन क्षेत्रों में है जहां पर कम शिक्षित मतदाता एवं गरीब तपके के मतदाता निवास करते हैं। एक प्रकार से ऐसे मतदाताओं से वोट मांगने की बजाय वोट ख़रीदने में प्रत्याशी अधिक विश्वास रखते हैं। प्रत्याशियों का मानना है कि यह सभी मतदाता बिकाऊ है, और दारू और पैसे के लालच में ऐसे मतदाता उनके पक्ष में ही मतदान करेंगे। पुराने चुनावी इतिहासों को देखें तो प्रत्याशियों का यह मानना काफी हद तक सही भी है। दारू, पैसे और कंबल जैसे अन्य सामानो के वितरण से काफी हद तक चुनाव परिणामों को प्रत्याशी प्रभावित करने में कामयाब हो भी जाते हैं। शहर हो या गांव ऐसे मतदाताओं की संख्या बहुतायत में है, जिनके बीच इस तरह की सामग्री पहुंचाने के लिए प्रत्याशियों के द्वारा तैयारी की गई है। चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करने के लिए एक तरफ तो जिला निर्वाचन अधिकारी ने सख्त रवैया अपनाते हुए चुनाव से 48 घंटे पहले ही शराब के विक्रय पर जिले में प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन प्रतिबंध लगने के पहले ही प्रत्याशियों ने स्टॉक अपने वितरण केंद्रों तक पहुंचा दिए हैं।

शुरू हुआ खरीद फरोख्त का खेल…

शराब, पैसे, कंबल जैसे अन्य प्रलोभन देकर मतदाताओं का मताधिकार खरीदने की घटना वैसे तो बेहद शर्मनाक है, लेकिन सत्ता लोभी लोगों के द्वारा यह खेल हमेशा से ही खेला जाता रहा है। मतदाताओं की खरीद फरोख्त करने के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिए जाते हैं। कई मतदाता तो ऐसे भी हैं, जो केवल इसी लालच के लिए प्रत्याशियों के प्रतिनिधियो से संपर्क बनाने में जुटे हुए हैं। कई जगह पर छोटे-मोटे नेताओं ने तो बस्ती और गांव का जिम्मा ही अपने सर ले लिया है। ये लोग प्रत्याशियों से बस्ती और गांव की वोट दिलाने के नाम पर मोटी रकम ऐंठने की फिराक में लगे हुए हैं। कई जगह ऐसे स्वार्थी लोग कामयाब भी हो रहे हैं।

प्रशासन रख रहा नजर…

मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए प्रत्याशियों द्वारा की जा रही तैयारी पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन नजर बनाए हुए हैं। पुलिस एवं जिला प्रशासन के द्वारा इस तरह के प्रलोभन देने वालों के संबंध में जानकारी एकत्र की जा रही है। वितरण की सूचना मिलने पर कार्यवाही की भी रणनीति बनाई गई है। अब देखना यह है कि चूहे बिल्ली के इस खेल में राजनीतिक प्रत्याशियों की तैयारी ज्यादा कारगर साबित होती है या फिर पुलिस और जिला प्रशासन की तैयारी

मतदाताओं की मौज…

जहां एक तरफ जीत के लिए मैदान में उतरे प्रत्याशी हर संभव प्रयास करने से नहीं चूक रहे हैं, वहीं इस अवसर का लाभ उठाने वाले अवसरवादी मतदाताओं की कमी भी नहीं ह। इस मौके को भुनाने के लिए अवसरवादी मतदाता नजरे लगाए बैठे हुए हैं। इस तरह के प्रलोभन कितने कारगर साबित होंगे या तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन आज शाम के बाद यह खेल अपने चरम पर पहुंच जाएगा।

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