जब भारत ने बिना झंडा लगे जहाजों से हथियार सप्लाई करने रखी थी शर्त

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नई दिल्ली । एक समय था जब भारत ने इजराइयल से बिना झंडा लगे जहाजों से हथियार सप्लाई करने रखी शर्त रखी थी। क्यों‎कि भारत अरब देशों को नाराज नहीं करना चाहता था। उस समय पं‎डित जवाहरलाल रेहरू ने इजरायल के मुकाबले मुस्लिम देशों को दरकिनार कर ‎दिया था। गौरतलब है ‎कि संयुक्त राष्ट्र के अरब-इजरायल शांति प्रयासों में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1950 से 1960 के दशक के बीच जब गाजा में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी था, तब भारत ने संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन बल में भारतीय सेना की एक मजबूत टुकड़ी भेजी थी। उस वक्त भारत और इजरायल के रिश्ते नाजुक मोड़ पर आ गए थे। 19 मई, 1960 को तब दोनों देशों के संबंधों में नई गिरावट देखी गई थी, जब इजरायली वायु सेना के विमान ने प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को ले जा रहे संयुक्त राष्ट्र के एक विमान को रोक दिया था। नेहरू तब गाजा का दौरा करने जा रहे थे।
दरअसल, पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल से ही भारत फिलिस्तीन मुद्दे का समर्थक रहा है। इस वजह से अरब जगत के मुस्लिम देशों से भी भारत के अच्छे संबंध रहे हैं लेकिन 1962 में जब भारत और चीन के बीच जंग छिड़ी तो नेहरू ने अरब जगत के मुस्लिम देशों को दरकिनार कर इजरायल से मदद मांगी थी। 1962 में जब भारत-चीन की शत्रुता चरम पर पहुंच गई थी, तब पंडित नेहरू ने इजरायल के प्रधान मंत्री डेविड बेन गुरियन को पत्र लिखकर इजरायल से हथियार सप्लाई करने की मदद मांगी थी। 18 नवंबर, 1962 को बेन गुरियन को लिखे पत्र में नेहरू लिखते हैं, आज हम अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में जिस गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसके लिए हम आपकी चिंता और सहानुभूति के लिए आभारी हैं। मुझे यकीन है कि आप इस बात की सराहना करेंगे कि भारत ने कभी भी किसी भी दूसरे देश की एक इंच जमीन पर भी दावा नहीं किया है और पारंपरिक एवं मूल रूप से हम शांति और विवादों के मैत्रीपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
हालां‎कि बॉम्बे स्थित इजरायल महावाणिज्य दूत, एरीह इलान ने यह संदेश प्रधान मंत्री कार्यालय तक पहुंचाया था, जो उस दौरान नई दिल्ली के अशोक होटल में रुके हुए थे। उसी नोट से यह भी पता चलता है कि भारत ने चीन के साथ युद्ध के दौरान इजरायल से हथियार मंगवाए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि तब भारत ने इजरायल से वैसे  जहाजों में हथियार पहुंचाने का अनुरोध किया था, जिन पर इजरायली झंडे नहीं लहरा रहे हों। तब इजरायली प्रधानमंत्री बेन गुरियन ने इनकार कर दिया था कि जब जहाज पर इजरायली झंडा नहीं तो इजरायली हथियार भी नहीं जाएंगे। अंततः यहूदी देश ने इजरायली झंडे लगे जहाजों के जरिए भारत को हथियारों की आपूर्ति की थी।
हालां‎कि इजरायल न केवल नेहरू बल्कि उनके चचेरे भाई बृजलाल नेहरू के भी निकट संपर्क में थे, जो उस वक्त संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के तत्कालीन राजदूत थे। बीएल नेहरू ने दोनों पक्षों के बीच आवश्यक चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिए वाशिंगटन में यहूदियों के साथ लंबी चर्चा भी की थी। दरअसल भारत इजरायल के मुकाबले उस समय अरब देशों को नाराज नहीं करना चाहता था, इसलिए चीन के खिलाफ जंग में मदद के लिए बिना झंडा लगे जहाजों से हथियार सप्लाई करने की शर्त रखी थी

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