वास्तविक वर्ण व्यवस्था का मतलब अच्छे कर्म से है- स्वामी गोपालानंद सरस्वती

सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित *गो रक्षा वर्ष* के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव* के 112 वे दिवस पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज ने बताया कि आज ईश्वरचंद्र विद्यासागर जी का निर्वाण दिवस है जो विनम्रता के धनी थे एक बार इंग्लैंड में उनकी अध्यक्षता में एक कार्यक्रम रखा था और वे समय के इतने पाबंध थे कि जब वे समय पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो वहां पर सब लोग सफाई कर्मी का इन्तजार कर रहे तो खुद ईश्वरचंद्र जी ने झाड़ू उठाकर सफाई करने लग गए और फिर अपने भाषण में कहां कि *हम लोगों को आत्म निर्भर होना चाहिए ,छोटी छोटी चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए* ।

आज उधोग जगत में अपनी छाप छोड़ने वाले टाटा कम्पनी के संस्थापक JRD टाटा का जन्म दिवस भी है जिन्होंने भारत के विकास में अपना अहम योगदान दिया है और आज ही के दिन सादगी की प्रतिमूर्ति अरुणा गांगुली जी का निर्वाण दिवस भी है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ़ आंदोलन किया और आजादी के बाद वे राजनीति में सक्रिय होकर दिल्ली की पहली मेयर बनी और जब वे मेयर थी तब वे कार में सवारी न करके पब्लिक ट्रांसपोर्ट अर्थात बस में सवारी करती थी।

 

स्वामीजी ने कथा में बताया कि भगवान महादेव ने अपने चतुर्भुज रूप के माध्यम से चार आश्रम ,चार वेद,चार वर्ण की महिमा को समझे और अपने जीवन को आगे बढ़ाएं यही सिखाने के लिए भगवान चार मुख लेकर प्रकट हुए है ।

आश्रम पद्धति ” ब्रह्मचर्य,गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं सन्यास एवं वर्ण पद्धति ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र इसके पीछे भारत का विकास छीपा हुआ था लेकिन तथाकथित मैकालेपुत्रो , एवं वामपंथियों ने इसका विरोध करना शुरू किया और देश के राजनेताओं ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जाति पाती का भेदभाव किया यानि एक और तो कहते है कि जाति पाती का भेद मिटाएं वही दूसरी ओर शिक्षा एवं अन्य फार्मों में जाति का स्पष्ट उल्लेख करना पड़ता है ।

स्वामीजी ने बताया कि वास्तव में *जाति प्रथा वैर भाव के लिए नहीं होकर एक व्यवस्था भाव के लिए थी, सबका काम बढ़िया से चले उसके लिए थी । इसी प्रकार आश्रम व्यवस्था के पीछे भी यही हेतु था लेकिन जो लोग समझे नहीं उन्होंने जाति परम्परा,वर्ण परम्परा को और आश्रम परम्परा को नष्ट किया* । वास्तव में तो चारों वर्ण प्रजापति ब्रह्मा जी के चार पुत्र के रूप में प्रगट किए हुए है और इन चारो भाइयों को अपने अपने कर्मों के माध्यम से विभक्त किया है उदाहरणार्थ जैसे एक परिवार में चार भाई हैं उसमें से जो पढ़ने में अच्छा है उसे शिक्षा का कार्य जो शरीर से बलिष्ठ है उसे रक्षा के क्षेत्र में जो कृषि, गो सेवा एवं व्यवसाय में निपुण है उसे व्यापार में और जो इनमें से कुछ भी नहीं कर पाएं उसे अन्य क्षेत्र ने कार्य करने का अवसर मिलता है और वर्ण व्यवस्था का यही मूल आधार है । जातियां वस्तुत कर्म के आधार पर है जाति नित्य नही है जिस प्रकार मनुष्य का शरीर नित्य (स्थाई) नही है उसी प्रकार जाति भेद भी नित्य नहीं है, स्थाई नही है *जाति पाती का भेद भगवान ने सिर्फ व्यवस्थात्मक दृष्टि के लिए बनाया है अर्थात जो मनुष्य पापकर्म नही करें तो वह ब्राह्मण समान ही है और ब्राह्मण कुल में पैदा होकर सारे पाप करें तो उसे शुद्र से भी हीन कहा गया है यानि मूल बात यह है कि हमारे कर्म अच्छे होने चाहिए । *वास्तविक वर्ण व्यवस्था का मतलब है, हमारा कर्म ठीक होना चाहिए*

 

 

*112 वे दिवस पर चुरू जिले से नन्द लाल सुथार, हिन्दू सिंह पंवार,(सरपंच),ग्राम कुमारा तहसील खिलचीपुर जिला राजगढ़ एवं गायत्री शक्तिपीठ सुजालपुर (साजापुर) से लक्ष्मण सिंह परमार,शंकर लाल परमार,कैलाश नारायण परमार, एडवोकेट रघुवीर पाटीदार,,भोजराज परमार,एवं हरिओम परमार अतिथि उपस्थित रहें*।

*श्रावण मास के अष्टम दिवस पर शिवसहस्त्राहुती यज्ञ ,पार्थिव शिव लिंग पूजन एवं रुद्राभिषेक भंवर लाल जी बिसानी, चेन्नई(तमिलनाडु) ने विद्वान विप्रजनों के माध्यम से करवाया*

*112 वे दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के श्री गंगानगर एवं झालावाड़ जिले से*

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 111 वें दिवस पर राजस्थान के श्री गंगानगर जिले से श्रीराम सेवा समिति श्री गंगानगर से रामचन्द्र डागला,संजय संजय पाल एवं ओम प्रकाश एवं झालावाड़ जिले की झालरापाटन तहसील के नानोर सें सोरम बाई, कोशल्या बाई,,श्यामा बाई, सीता बाई , केशर बाई, प्रभू बाई एवं सरे बाई के नेतृत्व में मातृशक्ति, युवा ,वृद्ध अपने नगर, ग्राम के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles