सुसनेर। मप्र-राजस्थान और गुजरात समेत 13 राज्यों के करीब 200 टोल प्लाजा के कंप्यूटर में एनएचएआई के सॉफ्टवेयर जैसा एक और सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके बिना फास्ट टैग की गाड़ियों से करोड़ों की टोल टैक्स चोरी पकड़ी गई है। यूपी एसटीएफ ने सॉफ्टवेयर बनाने वाले इंजीनियर सहित टोल प्लाजा के दो मैनेजरों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्त में आए मास्टरमाइंड आलोक सिंह से पूछताछ में पता चला कि यह घोटाला पिछले दो साल से चल रहा है। इससे एनएचएआई को करीब 120 करोड़ की चपत लगाई गई है।
घोटाले में टोल टैक्स ठेकेदार की भी मिलीभगत की जानकारी मिली है। एसटीएफ ने मास्टरमाइंड के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर मास्टरमाइंड पहले एनएचएआई के लिए सॉफ्टवेयर बनाता था, फिर हेराफेरी शुरू की। यूपी एसटीएफ ने बताया कि मास्टरमाइंड आलोक सिंह ने जिन 42 टोल प्लाजा पर नकली सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए हैं, उनमें 9 यूपी, 6 मप्र, 4-4 राजस्थान-गुजरात-छत्तीसगढ़, 3 झारखंड, 2-2 पंजाब-असम-महाराष्ट्र-प. बंगाल और 1-1 ओडिशा-हिमाचल-जम्मू-तेलंगाना में है। यानी 13 राज्यों व एक केंद्र शासित क्षेत्र में इसका जाल फैला है।
एसटीएफ के एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया, यूपी के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा लालगंज, मीरजापुर पर इंस्टॉल उक्त सॉफ्टवेयर से रोज औसतन 45,000 रु. टोल गबन हो रहा था। आलोक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो एनएचएआई के सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टाल करने का काम करता है। उसने एमसीए किया है और टोल प्लाजा पर ही काम करता था। टोल प्लाजा पर काम करते हुए ही वह टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियों के ठेकेदारों के संपर्क में आया। नकली सॉफ्टवेयर से निकाली गई टोल टैक्स की पर्ची एनएचएउ एनएचएआई जैसी ही होती थी। एनएचएआई को शक न हो इसलिए बिना फास्ट टैग के गुजरने वाले वाहनों में 5% को ही एनएचएआई सॉफ्टवेयर पर बुक किया जाता। जिन वाहनों की दोगुने टैक्स की पर्ची निकालते, उसे टोल फ्री श्रेणी में रखते थे। ऐसे में सुसनेर एवं आगर क्षेत्र के लोगो को भी टोल प्लाजा के माध्यम अपने साथ ठगी होने का एहसास ओर डर सता रहा है।
टोल प्लाजा पर मनमानी, फास्टेग के जरीए 1 ही वाहन का 3 बार काट लिया टैक्स
पहले भी कई बार वाहन चालक व मीडियाकर्मी कलेक्टर से कर चुके है शिकायत
उज्जैन-झालावाड राष्ट्रीय राजमार्ग पर ग्राम पगारिया के समीप स्थित टोल प्लाजा ठेका कम्पनी के द्वारा मनमाने तरीके से टोल टैक्स की वसूली वाहन चालको से की जा रही है। जिम्मैदारो के द्वारा ध्यान नहीं दिये जाने कारण ठेकेदार के कर्मचारीयो के हौंसले इतने बुलंद है की एक ही वाहन से फास्टेग के जरीए 3 बार टैक्स काट लिया गया। इसकी जानकारी सम्बंधित वाहन चालको जब पता चलती है जब कई घंटो बाद या अगले दिन वाहन चालक अथवा मालिक के मोबाइल नम्बर मैसेज आता है तब। ऐसे में इस मार्ग से यात्रा करने वाले महानगरो एवं बाहर के यात्री तो टोल प्लाजा पर इस समस्या के निदान के लिए वापस नहीं जा पाते, लेकिन स्थानीय वाहन चालक जरूर टोल प्लाजा पर सम्बंधित ठैकेदार से बात करने जाते है तो उन्हे डरा धमका दिया जाता है। लेकिन समस्या का निदान नहीं किया जाता है। ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है। जिसमें टावरे वाहन 2 नवम्बर को सुसनेर से इंदौर गया था। जिसके नम्बर एमपी 09 बीडी 4754 के वाहन से तीन बार पगारिया टोल प्लाजा पर टोल टैक्स काट लिया गया। एक बार का टैक्स 60 रूपये व रिटर्न आने के 30 रूपये लगते है। लेकिन टोल कर्मचारी ने सुसनेर से इंदौर जाने समय ही फास्टेग के जरीए 60-60 रूपये करके तीन बार यानी के 180 रूपये एक ही बार में काट लिये और इसमें से 1 मैसेज तो उसी समय आ गया और बाकी दो बार जो राशि कटी उसका मैसेज 4 घंटे के बाद आया। तब जाकर के वाहन मालिका को पता चला की उसका तीन बार टोल टैक्स कट गया है। ऐसे में इस मार्ग से यात्रा करने वाले वाहन अपने आपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। स्मरण रहे की टोल प्लाजा पर ठैका कम्पनी की मनमानी को लेकर पूर्व में स्थानीय रहवासीयो और ग्रामीण अंचल के रहवासियो के अलावा मीडियाकर्मियो ने आगर जिला कलेक्टर राघवेन्द्रसिंह से भी शिकायत की थी। किन्तु जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस वजह वाहन चालक आज भी टोल प्लाजा पर कर्मचारीयो की मनमानी का शिकार हो रहे है। अब इस रैकेट का खुलासा उत्तरप्रदेश से होने पर इस क्षेत्र के लोगो एवं वाहन मालिकों को भी अपने साथ इस प्रकार की ठगी होने एहसास होने लगा है। जिसकी जांच की मांग लोगो ने प्रशासन से की है।