निमाड़ की सुविख्यात कथावाचिका सुश्री दीदी चेतना भारतीजी के सुमधुर कंठ से श्रद्धालु हरिनाम का रसपान कर रहे है। कल भव्य कलश यात्रा के साथ कथा का शुभारंभ हुआ


  • भविष्य दर्पण/नीरज सोलंकी

सप्तदिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन ग्राम चासिया में ग्रामवासियो द्वारा कराया जा रहा है। निमाड़ की सुविख्यात कथावाचिका सुश्री दीदी चेतना भारतीजी के सुमधुर कंठ से श्रद्धालु हरिनाम का रसपान कर रहे है। कल भव्य कलश यात्रा के साथ कथा का शुभारंभ हुआ कथा के प्रथम दिवस में दीदीश्री ने कहा की श्रीमद् भागवत स्वयं भगवान का दिव्य रूप है, यह कोई पोथी या पुस्तक नही बल्कि भगवान का मस्तक है। भागवत गति देने वाली ग्रंथ नहीं अपितु सद्गति देने वाला ग्रंथ है। धुंधकारी जैसे अज्ञानियो का अगर उद्धार हो सकता है तो हम तो धुंधकारी नही बल्कि भगवान के कृपापात्र है। गोकर्ण का अर्थ है बड़े कान वाला पुत्र जो अपने माता पिता गुरु के शब्दों को सुनकर अनुसरण करते है वही बड़े कान वाले गोकर्ण है। छोटे कान वाले न्यून विचारधारा रखने वाले, माता पिता का अनादर करने वाले और सतउपदेश को भी जीवन में गलत भाव से देखने वाले पुत्र ही धुंधकारी है। यह मानव शरीर बहुत दुर्लभ देह है इस नाव के द्वारा ही भवसागर से पार हुआ जा सकता है। शरीर के कल्याण के साथ साथ आत्मा के कल्याण का भी कुछ न कुछ उपाय करना चाहिए। सतगुरु ही वह केवट है जो मोह की मंझधार से नाव को परमात्मा रूपी प्रकाश की और लेकर जाते है।

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