इंदौर शहर में लगातार विकास के कार्य किए जा रहे है। मेट्रो रेल, एलिवेडेट ब्रिज, सुविधायुक्त बस स्टैंड, चौड़ी सड़के सहित कई काम लगातार जारी है। पिछले कुछ सालों में पूर्व इलाके को भूलकर नगर निगम ने पश्चिम में ज्यादा विकास कार्य को तवज्जो दी है। यहां कई सड़कों को एक साथ खोला गया है। पूर्व इलाके में कई काम सालों से अटके हैं। पीछे की वजह राजनीति व दबाव है। नगर निगम के अफसर इसे जल्द शुरू करने की बात कह रहे हैं।
नगर निगम ने पश्चिम इलाके में पिछले पांच सालों में महूनाका से मल्हारगंज टोरी कार्नर की सड़क, सरवटे से गंगवाल सड़क निर्माण, बड़े गणपति से एमजी रोड़ सड़क निर्माण और अब सुभाष मार्ग सड़क निर्माण, भंवरकुआ से तेजाजी नगर सड़क निर्माण और हवा बंगले से राउ तक का सड़क निर्माण शुरू किया है। यह सब काम कई करोड़ों की लागत से पूरे पश्चिम इलाके और पुराने इंदौर को नए में तब्दील करने के लिए किए जा रहे है। इसमें सभी काम अभी भी अधूरे है। वहीं कुछ कामों की शुरुआत शनिवार को सीएम ने की है। पूर्व में कहां रूके पड़े है काम अग्रसेन प्रतिभा छावनी से मधुमिलन, जीपीओ चौराहे की सड़क का कई साल पहले काम की शुरुआत की गई थी। कांग्रेस का शासन आने के बाद यहां काम बंद हो गया। बाद में इस काम को गति देने की बात कही गई थी, लेकिन अफसरों ने स्थानीय मंत्री के दबाव में फाइल को रोक दिया। यह मार्ग पश्चिम इलाके को भी जोड़ता है।
100 से ज्यादा बाधक
नगर निगम ने शुरुआत में इसे चौड़ा करने के लिए दमखम से ताकत झोंकी थी। नोटिस देने के साथ कुछ गुमटियों को हटाया भी गया था। पक्के निर्माण को लेकर यहां नोटिस दिए गए थे। अभी तक 100 से ज्यादा बाधक पांच साल से यहां डटे है। निगम हर बार इसे बजट की कमी बताकर टाल रहा है।
बगीचो का काम अधूरा
पश्चिम के मुकाबले पूर्व में कई कालोनियों में बगीचे हैं। जिन्हें संवारने के लिए करोड़ों रुपए मंजूर किए गए। अभी तक उन पर काम शुरू नहीं हुआ। शहर में दिव्यांगों को लेकर भी बगीचे बनाए जाना थे। लेकिन नगर निगम ने पूरी ताकत राजस्व वसूली और सफाई को लेकर लगा दी। जिसमें आधे से ज्यादा अफसरों का दल दिनभर वार्ड में सफाई व्यवस्थाओं के साथ अफसरों को रिपोर्ट देता रहता है।
मेट्रो पर काम धीमा
मेट्रो को लेकर कुछ दिन पहले आई रिपोर्ट में काम काफी धीमी गति से चलने की बात सामने आई है। इसकी रिपोर्ट मीडिया में आने के बाद अफसर और इससे जुड़े नेता इसे तेजी से पूरा करने की बात कर रहे है। भोपाल और इंदौर में इसे दो सालों में पूरा करने का टारगेट लिया गया है। जबकि इसकी शुरुआत भी तीन साल के लगभग हो गए है। इसके साथ ही पूर्व के इलाके में कई छोटे ब्रिज भी है जिनका काम छह माह में एमजी रोड़ के ब्रिज की तरह पूरा करने की बात कही गई थी। लेकिन दो से तीन साल बीतने के बाद भी यहां धीमी गति से काम चल रहा है।