जिले में करीब साढ़े 6 करोड़ साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म, शंख, शाॅर्क मछलियाें के अवशेष, पेड़ सहित अन्य अद्भुत पत्थर अब लाेग घर बैठे ऑनलाइन थ्री-डी पिक्चर में देख सकेंगे। वैज्ञानिक, विद्यार्थी भी इन फॉसिल्स व अद्भुत पत्थर को आर्टिफिशियल रियलिटी टेक्नोलॉजी के माध्यम से देख रिसर्च कर सकेंगे। फॉसिल्स मोबाइल, लैपटॉप की स्क्रीन पर बड़े आकार में नजर आएगी। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लंदन की तर्ज पर देश में पहली बार धार में फॉसिल्स डिजिटल पार्क शुरू किया गया है।
वैसे धार जिले में कराेड़ाें साल पुराने जीवाश्म हैं। इसमें पहले चरण में 180 फॉसिल्स काे चिह्नित किया गया है। धीरे-धीरे अन्य चीजाें काे भी उसमें शामिल किया जाएगा। डीएफओ अक्षय राठाैर ने बताया नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लंदन के बाद देश में वन विभाग धार ने इस प्रकार का प्रयाेग किया है।
जीवाश्म विशेषज्ञ विशाल वर्मा की मदद से इनकी पुष्टि कर ऑनलाइन जीवाश्माें की जानकारी अपलाेड की है। जीवाश्म विशेषज्ञ वर्मा ने बताया धार में शाकाहारी डायनासाेर के जीवाश्म मिल चुके हैं, जिसकी तीन पीढ़ियाें के साक्ष्य हैं। समुद्री क्षेत्र हाेने से लार्वा निकलने के बाद डायनासाेर खत्म हाे गए।
हालांकि निमाड़ में भी डायनासाेर के जीवाश्म मिले, जिनके अंडे भी मिले और उनकी पीढ़ियां भी चली। उत्तर भारत व दक्षिण भारत में मांसाहारी डायनासाेर के जीवाश्म हैं। यहां 740 लाख साल पुरानी 6 प्रजातियाें की शाॅर्क मछलियाें के भी जीवाश्म मिल चुके। इसके बाद आदिमानव के औजार भी मिले।
ऐसे देख सकते हैं ऑनलाइन
डीएफओ राठाैर ने बताया लाेग घर बैठे फॉसिल्स काे विभाग द्वारा बनाई वेबसाइट https://www.dinosaurfossilsnationalparkbagh.in पर जाकर थ्री डी पिक्चर में देख सकते हैं। यह फॉसिल्स बाग में एक कमरे में रखे हुए थे। जिन्हें साफ कर व्यवस्थित किया। थ्री डी कैमरे की मदद से इनकी पूरी पिक्चर लेकर साॅफ्टवेयर की मदद से पूरा आकार तय कर वेबसाइट पर अपलाेड किया। देश में पहली बार धार से ही इसकी शुरुआत की गई है।
क्या है फाॅसिल्स
फाॅसिल्स बाहर व भीतर से तराशे जाते हैं यानी जिन्हें प्रकृति खुद बनाती है। मूर्तियाें काे कारीगर द्वारा तराशकर ऊपरी शेप में बनाया जाता है। इन्हें ताेड़ने पर अंदर से स्टाेन ही निकलता है। जबकि फॉसिल्स बाहर व अंदर से पूरी तरह से विकसित हाेता है।