जीरो पाइंट ब्रिज की ये तकनीकी खामी उतार पर क्राॅसिंग के रूप में दिखाई दे रही है जिससे हादसे की संभावना बनी रहती है।
- पुल उतार पर क्राॅसिंग से चढ़ने-उतरने वाले भिड़ रहे, इसी कारण आए दिन वाहन टकरा रहे
फ्रीगंज जीरो पाइंट ब्रिज को लेकर जितना ट्रैफिक के नजरिए से जो आब्जर्व किया है, उसमें सबसे बड़ी खामी पुल के उतार पर क्राॅसिंग है। अगर उतार पर ही लोग क्राॅस होंगे तो पुल से उतरने व चढ़ने वाले तो उनमें मिक्स होना ही है और अगर ऐसा होगा तो हादसे होना भी स्वभाविक है।
क्या सोचकर ब्रिज का इस तरह का प्लान बनाया गया था, जीरो पाइंट ब्रिज को बनाने वाले इंजीनियरों की क्या सोच रही है, यह प्रश्नवाचक है। फ्रीगंज से ढांचा भवन की तरफ जाना हो या फिर उस तरफ से फ्रीगंज आना हो, दोनों ही तरफ उतरते से ही लेफ्ट-राइट टर्न है, ये कितने घातक हैं, इसका अंदाजा पुल बनाने वाले इंजीनियर व जिम्मेदारों को शायद अभी तक इसलिए नहीं हो पाया होगा कि ईश्वर की कृपा से अब तक छोटे-मोटे ही हादसे यहां हो रहे हैं।
पुल बनाने वाले विभाग व इंजीनियर पहले ट्रैफिक पुलिस का व्यू नहीं लेते, ये उसी का परिणाम
पुल निर्माण में टेक्नीकल के साथ मैकेनिकल भी त्रुटि है। कभी भी जोरदार घटना घट सकती है। पुल बनाने वाले संबंधित विभाग व इंजीनियर निर्माण से पहले कभी ट्रैफिक पुलिस का व्यू नहीं लेते, ये उसी का परिणाम है। चाहते तो पुल की लंबाई बढ़ाकर उसे सांदीपनि के समीप तक ले जा सकते थे और फिर यहां रोटरी से मार्ग के ट्रैफिक को रोटेड किया जा सकता था।
अभी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जीरो पाइंट ब्रिज के उतार से ही हाॅस्पिटल, सब्जी मंडी व रहवासी कॉलोनी आने-जाने का रास्ता है। यहां ट्रैफिक का दबाव इसीलिए अधिक है और क्राॅसिंग के कारण पुल से उतरने वाले के भिड़ने की संभावना बनी रहती है। इसका एकमात्र जो निदान समझ में आ रहा है वह यहीं है कि पुल के उतार पर दोनांे ही तरफ डिवाइडर की लेन बनाकर क्राॅसिंग अर्थात वाहन चालकों को मिक्सअप होने से रोका जाए।
2016 में जीरो पाइंट ब्रिज की सौगात मिली
- 30 करोड़ 59 लाख की लागत से पुल बना।
- सेतु निर्माण विभाग के माध्यम से निर्माण हुआ।
- कुछ लाेगाें के निजी हित के लिए ब्रिज के ले-आउट से छेड़छाड़ कर लंबाई-चौड़ाई घटाई गई
ये भी खामी का नतीजा
जीरो पाइंट ब्रिज की चौड़ाई कम करने की वजह से ब्रिज सिंगल लेन रोड की तरह रह गया। एक भारी वाहन से जाम लग जाता है, गाड़ी ओवरटेक करने में हादसे का संभावना सबसे ज्यादा बन रही।