प्रदेश में फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर विभिन्न अस्पतालों में लाखों रुपए का इलाज मुफ्त में करवाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। प्रारंभिक जांच के दौरान अभी तक 6 जिलों में 26 फर्जी कार्ड बनाने की पुष्टि हुई है, जिनके जरिए लगभग 20 लाख रुपए का इलाज हुआ है। यह रकम सरकार से अस्पताल प्रबंधन को मिल चुकी है।
अब सरकार ने ऐसे आयुष्मान कियोस्क संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का अभियान शुरु कर दिया है। ग्वालियर और भिंड में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को विभिन्न अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराने की सुविधा दी जाती है। कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे आयुष्मान कार्ड धारकों ने अस्पतालों में मुफ्त इलाज करवा लिया है, जिनके कार्ड की फर्जी थे।
अभी तक किस जिले में कितने फर्जी कार्ड का पता चला
- सीहोर के अरुण ठाकुर ने 3 फर्जी कार्ड बनाए। इनके इलाज के ऐवज में 76,560 रुपए सरकार ने भुगतान किए।
- भोपाल के मोहम्मद जैनुद्दीन ने 4 फर्जी कार्ड बनाए। इन कार्ड के जरिए 4 लाख 95 हजार 610 रुपए का इलाज करवाया गया।
- इंदौर के विशाल कानूनगो ने 4 फर्जी कार्ड बनाए। इनके माध्यम से प्राइवेट अस्पतालों में 1 लाख 4 हजार 975 रुपए का इलाज हुआ।
- विदिशा के रहीश कुरैशी ने 3 फर्जी कार्ड बनाए। इनके जरिए 95 हजार 345 रुपए का इलाज हुआ।
- भिंड के अखंड प्रताप सिंह भदौरिया और वीरभान बंसल ने 6 फर्जी कार्ड बनाकर 10 लाख 67 हजार 550 रुपए का इलाज करवाया।
- ग्वालियर के रामनिवास मांझी ने 6 फर्जी कार्ड बनाए। इनके माध्यम से 1 लाख 300 रुपए का इलाज करवाया।
अनुराग चौधरी ने कहा- प्रदेश के सभी जिलों को जांच के दायरे में लिया है
प्रदेश में अब तक 2 करोड़ 58 लाख, 28 हजार 693 आयुष्मान कार्ड बने हैं। इन कार्डों के जरिए 11 लाख 84 हजार 478 लोग अस्पतालों से मुफ्त इलाज की सुविधा ले चुके हैं। प्रदेश में 467 सरकारी और 396 प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से विभिन्न बीमारियों के मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
आयुष्मान भारत निरामयम, मप्र के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग चौधरी ने बताया कि कुछ संदेहास्पद मामलों की जानकारी मिलने पर पिछले महीने से आयुष्मान कार्डों की जांच शुरू की गई। इसके तहत अभी तक 6 जिलों में 26 फर्जी आयुष्मान कार्ड पकड़े गए हैं। जांच का यह काम अभी भी जारी है। प्रदेश के सभी जिलों को जांच के दायरे में लिया गया है। पता लगाया जा रहा है कि जिन्होंने मुफ्त इलाज का फायदा लिया, वे पात्र हैं या नहीं।