नेमावर नरसंहार में नया मोड़:- परिवार में बची एकमात्र सदस्य की न्याय यात्रा से हिली शिवराज सरकार; ताबड़तोड़ CBI जांच की सिफारिश

देवास के नेमावर में आदिवासी नरसंहार में 6 महीने बाद नया मोड़ आ गया है। परिवार में एक मात्र जीवित बची लड़की भारती कास्डे की न्याय यात्रा की चेतावनी के बाद शिवराज सरकार में हड़कंप मच गया। सरकार ने ताबड़तोड़ सीबीआई से जांच की सिफारिश कर दी है। भारती का कहना है कि यह मात्र एक पड़ाव है, पूरा न्याय नहीं है। 1 जनवरी से न्याय के लिए ये यात्रा निकाली जाएगी।

इससे पहले सरकार ने पीड़ित परिवार को 41 लाख रुपए का मुआवजा देकर इस परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त की थी। आरोपियों के घर पर बुल्डोजर तक चलवाया। बावजूद इस मामले में राजनीति नहीं थमी। भीम आर्मी ने पूरे प्रदेश में आंदोलन किया। साथ ही पूर्व सीएम कमलनाथ ने वहां जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे।

सरकार के इस हत्याकांड की सीबीआई जांच के प्रस्ताव ने सभी को चौंका दिया है। विपक्ष घटना के बाद से ही इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही थी। आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। 2023 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सरकार इस समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती है। नेमावर के आसपास आदिवासियों की आबादी अच्छी खासी है। इस घटना को लेकर उनमें काफी नाराजगी थी। खासकर नेमावर के पास खरगोन, हरदा, बागली, खंडवा, खालवा, औरर आष्टा में इस समुदाय की अच्छी संख्या है।

एक मात्र जीवित लड़की निकाल रही न्याय यात्रा

सामूहिक नरसंहार में परिवार की एक लड़की भारती कास्डे जीवित बची थी। न्याय पाने के लिए वह 1 जनवरी से न्याय यात्रा निकाल रही है। दैनिक भास्कर से बातचीत में भारती ने कहा कि ‘मुझे आपसे ही सीबीआई जांच की सिफारिश की घोषणा के बारे में पता चला है। इसके अलावा अधिकृत जानकारी नहीं है। जहां तक न्याय यात्रा का सवाल है, तो वह तो जरूर निकाली जाएगी। क्योंकि सीबीआई जांच पूरा न्याय नहीं है। प्रदेश में ऐसी घटनाएं और न हों, इसके लिए भी यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा 1 जनवरी को नेमावर से निकलकर 6 जनवरी को भोपाल पहुंचेगी।

भारती ने इस तरह के पोस्टर छपवाए हैं।

पुलिस हत्याकांड की गुत्थी नहीं सुलझा पाई

देवास जिले के नेमावर में 5 आदिवासियों की हत्या की गुत्थी पुलिस अभी तक नहीं सुलझा पाई है। कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने इसे प्रेम-प्रसंग का मामला बताया था। इसे लेकर प्रदेश में राजनीति भी खूब हुई थी। आरोपियों के संबंध प्रदेश के कुछ नेताओं के साथ सामने आ रहे थे। अब शिवराज सरकार ने करीब छह महीने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने का फैसला लिया है।

8 फीट गहरे गड्ढे में गाड़ दिए थे शव

13 मई 2021 को नेमावर से आदिवासी परिवार के पांच सदस्य ममता, रूपाली, दिव्या, पूजा और पवन लापता हो गए। इसे लेकर थाने में शिकायत की गई थी। पुलिस मामले की जांच में जुटी थी, मगर कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पा रहे थे। 30 जून यानी 49 दिन बाद मेला रोड स्थित एक गड्ढे से पांच मानव कंकाल बरामद किए गए। इन्हें आठ फीट गहरे गड्ढे में गाड़ दिया गया था। कंकाल मिलने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई। शव को गलाने के लिए नमक डाला गया था।

हिंदू संगठन से जुड़ा है मुख्य आरोपी

इस हत्यांकाड में खुलासा हुआ था कि मुख्य आरोपी सुरेंद्र केसरिया हिन्दू संगठन का पदाधिकारी है। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 5 लोगों की हत्या की और शव खेत में दफना दिए थे। मुख्य आरोपी का मृतक रूपाली के साथ प्रेम प्रसंग था। वही, सुरेंद्र की शादी कही और तय हो गई। प्रेमिका रूपाली उसे शादी के लिए तंग कर रही थी। उसे रास्ते से हटाने के लिए सुरेंद्र ने अपने भाई वीरेंद्र राजपूत, 2 नौकरों और 2 दोस्तों की मदद से परिवार की हत्या कर दी और जमीन में दफन कर दिया।

शव मिलने के बाद इसे लेकर सियासी पारा बढ़ गया। आरोपी सुरेंद्र पुलिस को गुमराह करने के लिए रूपाली (मृतक) के मोबाइल से उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर परिवार के सकुशल होने की स्टेटस अपडेट करता रहा। हालांकि, बार-बार एक ही फोटो पोस्ट करने पर पुलिस को शक हुआ और पूरे मामले का 30 जून को खुलासा हुआ था।

इसलिए हो रही सियासत

आदिवासी बहुल में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। 2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ है। वहीं, जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों की जीत और हार तय करते हैं, वहां सिर्फ बीजेपी को 16 सीटों पर ही जीत मिली है। 2013 की तुलना में 18 सीट कम है। अब सरकार आदिवासी जनाधार को वापस बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश में जुटी है।

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