विशाखापट्टनम में सड़क हादसे में शहीद हुए शाजापुर के लाल मनोज वर्मा काे शुक्रवार को आखिरी विदाई दी गई। गृह ग्राम अरनिया कलां में राजकीय एवं सैन्य सम्मान के साथ छोटे भाई मनीष ने उनको मुखाग्नि दी गई। नौसैनिक को अंतिम विदाई देने के हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। अपने लाल को देखने के लिए लोग घर की छतों पर चढ़ गए। शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार, सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी और कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी भी श्रद्धांजलि देने गांव पहुंचे।
पत्नी का रो-रोकर बुरी हाल।
कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी ने सैनिक मनोज वर्मा की स्मृति में 5 लाख रुपए विधायक निधि से देने की घोषणा की। इस निधि से अरनिया कलां में शहीद का स्मारक बनाया जाएगा। सपूत के अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही लोग आने लगे थे।
नौसेना अस्पताल में चल रहा था इलाज
6 दिन पहले मनोज वर्मा विशाखापट्टनम के पहाड़ी क्षेत्र में एक सड़क हादसे में घायल हो गए थे। उनका विशाखापट्टनम में ही नौसेना अस्पताल में इलाज चल रहा था। मंगलवार देर रात उन्होंने आखिरी सांस ली। मनोज का अंतिम संस्कार गुरुवार को उनके गांव में होना था, लेकिन सैनिक की पत्नी वर्षा और 4 साल का बेटा अथर्व हैदराबाद से आ नहीं पाए थे। इस कारण शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया। सैनिक का पार्थिव शरीर भोपाल से सड़क मार्ग से अरनिया कलां पहुंचा।
वीर के अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़ ।
जयकारों से गूंजा गांव
सैन्य वाहन में सैनिक टुकड़ी मनोज के पार्थिव देह को लेकर जैसे ही गांव की सीमा में दाखिल हुई, भारत माता की जय… और मनोज वर्मा अमर रहे के जयकारे गांव में गूंजने लगे। रास्ते में भी शहीद के सम्मान में सैकड़ों लोग सड़कों पर नजर आए।
रो-रोकर हुआ बुरा हाल
मनोज की बॉडी को देखते ही पत्नी वर्षा खीच पड़ी। रोते-रोते वह बेहोश हो गई। को परिजन ढांढस बांध रहे थे। शहीद जवान का एक चार साल का बेटा अथर्व वर्मा मासूम निगाहों से पिता को खोज रहा था। मनोज का अंतिम संस्कार गृह गांव अरनिया कलां के श्मशान घाट में सैनिक सम्मान के साथ किया गया। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। मातमी धुन के बाद जवानों ने वर्मा को अंतिम सलामी दी।
मनोज का मासूम बेटा अथर्व।
कालापीपल में पढ़े
मनोज वर्मा ने कालापीपल के एक निजी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी। उसके बाद इंदौर के होलकर कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। मनोज का भारतीय नौसेना में एलएमई (लीडिंग मैकेनिकल इंजीनियर) के पद पर चयन हुआ था। वर्तमान में वह विशाखापट्टनम में पदस्थ थे।
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।