कोरोना में इलाज के दौरान जिन लोगों की मौत हो गई। उनके परिजनों को सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को 50-50 हजार रुपए अनुग्रह राशि देने के निर्देश दिए थे। इस संबंध में केंद्र सरकार ने 11 सितम्बर को गाइडलाइन जारी की थी, इसमें साफ तौर पर कहा गया था कि कोरोना मृतक के निकटतम जीवित संबंधी को ये राशि दी जाए। इसके लिए जरूरी दस्तावेज जमा कराएं जाएं। लेकिन 18 नवम्बर 2021 को राज्य सरकार के प्रमुख सचिव एवं राहत आयुक्त मनीष रस्तोगी द्वारा सभी कलेक्टर्स को जारी की गई गाइडलाइन में कुछ शर्तें लागू कर दी गई। इसमें शर्तें जोड़ दी गई कि कोरोना मृतक के विवाहित वारिस इस अनुग्रह राशि के हकदार नहीं होंगे। बड़ा सवाल ये है कि जब केंद्र सरकार ने साफ तौर कहा है कि कोरोना मृतकों के निकटतम जीवित संबंधी को ये राशि देने की बात कही है तो फिर राज्य सरकार के अफसरों ने नई शर्तें क्यों जोड़ दी।
जोड़ी गई नई शर्तें के बाद भोपाल कलेक्टोरेट में 70 से ज्यादा कोरोना मृतक के परिजनों के आवेदन अटक गए हैं। जबकि अलग-अलग एसडीएम दफ्तरों में पहुंचे 100 से ज्यादा आवेदकों को गाइडलाइन के हिसाब से पात्र नहीं होने के चलते लौटा दिया गया। परिजनों का आरोप है कि कोरोना की दूसरी लहर में लोग अपनों के इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे। कभी बेड के लिए तो कभी ऑक्सीजन और इंजेक्शन के लिए। लेकिन जान नहीं बचा पाए। अब अनुग्रह राशि की शर्तें नई समस्या खड़ी कर दी है। सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते पहले इलाज और राशि के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है। भोपाल कलेक्टोरेट में अभी तक 1248 आवेदन आए थे। इसमें से अभी तक 1077 को अनुग्रह राशि दी जा चुकी है। जबकि 70 ऐसे आवेदन पेंडिंग हैं, जिनके वारिस विवाहित हैं। इन आवेदनों पर अभी कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।
इन सभी अव्यवस्थाओं के बीच अच्छी पहल ये भी
कलेक्टोरेट में कोरोना मृतको के परिजनों को अनुग्रह राशि के आवेदन पत्र जमा करने के लिए एसडीएम दफ्तरों को नोडल सेंटर बनाया गया। यहां पर जमा होने वाले आवेदनों को जांच के बाद एडीएम के दफ्तर में भेजा जाता है। आवेदनों में यदि किसी प्रकार की कोई कमी होती है तो उसकी जांच के बाद संबंधित को फोन कर बुलाया जाता है। तहसील दफ्तरों में भी अनुग्रह राशि के लिए आवेदन किया जा सकता है। इन दस्तावेजों में डेथ सर्टिफिकेट में कोरोना से मृत्यु नहीं लिखा होने पर इस मामले को जिला स्तरीय कमेटी में भेजा जाएगा, जो एक महीने में इस पर फैसला लेगी।
यह दस्तावेज देने होंगे
- निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन।
- मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र और आईडी प्रूफ की प्रमाणित प्रति।
- वारिसान का आईडी प्रूफ की प्रमाणित प्रति।
- मृतक के दावेदार के बीच संबंध का प्रमाण की प्रमाणित प्रति।
- आरटीपीसीआर या आरएटी जांच रिपोर्ट कम से कम दो डॉक्टरों के हस्ताक्षर वाली।
- अस्पताल से मिला डॉक्टरों का डेथ सर्टिफिकेट अगर हो तो।