इंदौर में तीसरी लहर में मिल रहे कोरोना पेशेंट में किसी की भी हालत क्रिटिकल (गंभीर) नहीं है। पहली और दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों को सीवियर और माइल्ड निमोनिया हुआ था। इस बार ऐसा नहीं है। अधिकांश संक्रमित एसिम्प्टोमैटिक हैं। इसकी एक वजह वैक्सीनेशन भी है। पिछली बार संक्रमितों को जो दवाइयां दी जाती थी, इस बार मामूली बदलाव भी हुआ है।
तीन महीने पहले ACS मो. सुलेमान इंदौर आए थे तो उन्होंने भी बैठक लेकर वैक्सीनेशन पर जोर दिया था। अगर किसी को कोरोना संक्रमण हुआ तो क्रिटिकल स्थिति नहीं बनेगी। बहरहाल, दिसंबर में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है, लेकिन मरीजों की स्थिति सामान्य हैं।
सरकारी MRTB हॉस्पिटल की स्थिति जानी तो वहां अभी 15 से ज्यादा कोरोना मरीज एडमिट हैं। सभी की हालत ठीक है। अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव के मुताबिक इन दिनों यहां रोज 2 से 4 नए मरीज रोज एडमिट होते हैं। अभी तक जितने भी मरीज आए हैं, सभी को बहुत हल्की सर्दी, जुकाम, खांसी व बदन दर्द के लक्षण रहे हैं। सिर्फ एक मरीज को ICU में रखना पड़ा। वह भी ज्यादा सीरियस नहीं था। पहली व दूसरी लहर में कोविड पॉजिटिव के साथ निमोनिया के काफी मरीज थे।
इन्फेक्शन कंट्रोल मेजर का ध्यान जरूरी
डॉ. भार्गव ने बताया कि अभी जो मरीज आए हैं, उनमें किसी को भी सीवियर व माइल्ड निमोनिया नहीं मिला है। ऑक्सीजन सेचुरेशन नॉर्मल चल रहा है। पहली लहर हो या दूसरी या अभी की स्थिति, अस्पताल में सभी डॉक्टर्स, नर्सेस सहित पूरा स्टाफ PPE किट पहनकर इलाज करते हैं, क्योंकि इन्फेक्शन कंट्रोल मेजर का ध्यान रखना चाहिए। किट पहनने के साथ N-95 मास्क का उपयोग भी करते हैं।
ट्रीटमेंट में यह हुआ है बदलाव
- पहले मरीजों को ACQF की दवाई जो पहले ज्यादा यूज करते थे वो अब नहीं करते हैं।
- रेमडेसिविर को अभी भी जरूरत के हिसाब से उपयोग किया जाता है।
- स्टेरॉइड व अन्य दवाइयां जो पहले उपयोग में की जाती थी, उसका उपयोग अभी भी किया जा रहा है।
- एंटीबायोटिक, ऑक्सीजन जरूरत के हिसाब से उपयोग करते हैं।
- प्रोटोकॉल में थोड़ा सा परिवर्तन आया है। बाजार में कुछ नई दवाइयां आई हैं। सारी दवाइयां उपलब्ध हैं।