नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि शहर में हर महीने 900 अवारा कुत्तों की नसबंदी की जाती है। एक नसबंदी पर 945 रुपए का भुगतान भी किया जाता है। इस सबके बाद भी 8 साल में आवारा कुत्तों की संख्या 35 हजार से बढ़कर 1.50 लाख के पार पहुंच गई है। इन सालों में करीब 11 करोड़ रुपए भी खर्च हो चुके हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि जब नसबंदी हो रही है तो आवारा कुत्तों की संख्या कैसे बढ़ रही है। आवारा कुत्तों को पकड़कर लाने, उनकी नसबंदी करने और वापस उसी इलाके में छोड़ने का जिम्मा नगर निगम ने एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) को दिया है।
आवारा कुत्तों के हमले से गंभीर बच्ची के मामले में मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। मामले में आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने निगमायुक्त से विभिन्न बिंदुओं पर निगम आयुक्त से 7 दिन में रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने पूछा है कि 2021 में कितने आवारा कुत्तों की नसंबदी की गई?
आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं की वार्डवार जानकारी और घटना के बाद की गई कार्रवाई की जानकारी दें। इधर, निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने बताया कि कुत्तों की आबादी कम करने नसबंदी की संख्या बढ़ाई है। ये काम सही ढंग से हो इसके लिए मैं निगरानी कर रहा हूं।
हर प्रयोग और योजना असफल
- आवारा कुत्तों के लिए 2019 में 25 केज रखवाए गए थे। इनमें करीब 50 ऐसे आवारा कुत्ते जो किसी कारण से आक्रामक हो गए हैं उनके रखने की व्यवस्था की गई थी।
- 2019 में तत्कालीन संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने शहर के सभी वार्डाें में आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग सेंटर बनाने निर्देश दिए थे। ये सेंटर निगम को बनाने थे, लेकिन नहीं बने।
- 2017 में तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा ने शहर में कुत्तों के लिए 4 शेल्टर होम बनाने प्रस्ताव पारित किया था। जमीन आवंटन के लिए फाइल प्रशासन को भेजी, लेकिन आवंटन नहीं हुआ।