कोरोना की तीसरी लहर में वेक्सीनेशन से ट्रेंड बदला है। वैक्सीन से एंटी बॉडी डेवलप होने से मरीजों पर कोरोना वायरस का असर कम हो रहा है। ऐसे में मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है। अब तक उज्जैन में 284 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं और पॉजिटिव दर 3.05 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
जिनमें से केवल 9 मरीजों को ही हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा। ये वे मरीज हैं जो कि गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं या ओल्ड एज हैं। इनके अलावा करीब 275 मरीज घर पर ही रहकर कोरोना से फाइट कर रहे हैं। मरीज 5 से 7 दिन में ठीक हो रहे हैं। डिस्ट्रिक कमांड सेंटर से हर दिन सुबह-शाम मरीजों से वीडियो कॉलिंग के जरिए तबीयत के बारे में पूछा जा रहा है। तीसरी लहर में मरीज या तो एसिंप्टोमैटिक हैं या उनमें न के बराबर ही कोरोना के लक्षण हैं। कोरोना वायरस का अटैक दूसरी लहर जितना ही घातक है, लेकिन चूंकि वैक्सीन के एक या दोनों डोज लग जाने से लोगों में एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है।
इस वजह से उनमें वायरस का असर पहली और दूसरी लहर जितना घातक नहीं है। आरआर टीम के नोडल अधिकारी डॉ. रौनक एलची का कहना है कि इस बार मरीजों में कोरोना वायरस का ज्यादा असर नहीं है। अब तक पॉजिटिव पाए गए करीब 9 मरीजों को ही हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा। बाकी के करीब 275 मरीजों को होम आइसोलेशन में रखकर इलाज दिया गया है। जिसमें उनकी आरआर टीम द्वारा काउंसलिंग की जा रही है। मरीजों को इमरजेंसी स्थिति में कांटेक्ट नंबर दिए गए हैं ताकि वे तत्काल चिकित्सा सेवाएं ले सकें।
वीडियो कॉलिंग से ऑनलाइन उपचार
आरआर टीम द्वारा काउंसलिंग की जा रही है। मरीजों को इमरजेंसी स्थिति में कांटेक्ट नंबर दिए गए हैं ताकि वे तत्काल चिकित्सा सेवाएं ले सकें। वीडियो कॉल कर होम आइसोलेट मरीजों का हाल पूछ रहे हैं। मरीज को बुखार या सर्दी-खांसी तो नहीं है। उन्हें कोई दूसरी तकलीफ तो नहीं हो रही है। उनका पल्स पता किया जा रहा है। मरीजों की परेशानी सुनी जाकर उनका समाधान किया जा रहा है। मरीज की तबीयत खराब होने पर उसे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जाता है।
वीडियो कॉलिंग से ऑनलाइन उपचार
आरआर टीम द्वारा काउंसलिंग की जा रही है। मरीजों को इमरजेंसी स्थिति में कांटेक्ट नंबर दिए गए हैं ताकि वे तत्काल चिकित्सा सेवाएं ले सकें। वीडियो कॉल कर होम आइसोलेट मरीजों का हाल पूछ रहे हैं। मरीज को बुखार या सर्दी-खांसी तो नहीं है। उन्हें कोई दूसरी तकलीफ तो नहीं हो रही है। उनका पल्स पता किया जा रहा है। मरीजों की परेशानी सुनी जाकर उनका समाधान किया जा रहा है। मरीज की तबीयत खराब होने पर उसे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जाता है।