अब उज्जैन में मोबाइल एप से मकान-प्लॉट व खेती की जमीन की रजिस्ट्री हो सकेगी। इसके लिए प्रॉपर्टी की लोकेशन की जीआईएस टैगिंग जियोग्राफिक इंडिकेशन यानी भौगोलिक संकेतक की जा रही है, जो कि अंतिम चरण में है। नई व्यवस्था लागू होने से प्रॉपर्टी धारकों को मकान-प्लॉट या अन्य प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने में आसानी होगी। उन्हें रजिस्ट्री के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय के झंझटों से मुक्ति मिल सकेगी।
एप से रजिस्ट्री के लिए इस बार उज्जैन के रजिस्ट्रार कार्यालय में जीआईएस टैगिंग की जा रही है। इसके लिए वरिष्ठ उपपंजीयक से लेकर पूरी टीम लगी है ताकि नई गाइड लाइन के लागू होने के साथ ही नई व्यवस्था को भी लागू कर दिया जाए। लोकेशन वाइज यूडीए, हाउसिंग बोर्ड व नगर निगम आदि विभागों के माध्यम से सॉफ्टवेयर में इन लोकेशन को दर्ज किया जा रहा है।
साथ ही इसे मोबाइल एप से जोड़ा जा रहा है। उपपंजीयक प्रज्ञा शर्मा ने बताया जिले की प्रॉपर्टी की लोकेशन की जीआईएस टैगिंग की जा रही है जो कि गाइड लाइन लागू होने के साथ ही लागू हो जाएगी। जिले में करीब 3 हजार लोकेशन्स हैं। संपदा सॉफ्टवेयर में बदलाव किया जा रहा है और लोकेशन की फीडिंग की जा रही है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। ई-पंजीयन की व्यवस्था लागू होने के बाद जिले में यह नई व्यवस्था की जा रही है।जिले में नई गाइड लाइन 1 अप्रैल-2022 से लागू होगी।
ये होंगे 5 फायदे
- रजिस्ट्री करवाना आसान होगा।
- वास्तविक जमीन की रजिस्ट्री होगी।
- रजिस्ट्री को लेकर होने वाले विवादों पर रोक लग सकेगी।
- कुछ छिपाया नहीं जा सकेगा और शासन को राजस्व मिलेगा।
- प्रॉपर्टी की सही वैल्यू और स्थिति पता चलेगी।
ऐसे सिस्टम करेगा काम
एप को मोबाइल में लोड करना होगा। एप के फोटो ऑप्शन पर जाना होगा। जिस प्रॉपर्टी की जानकारी चाहिए, उसका फोटो खिंचकर अपलोड करना होगा। जीआईएस मैपिंग के जरिए प्रॉपर्टी की लोकेशन मिल जाएगी। ऑटोमैटिक वेरिफिकेशन हो जाएगा। प्रॉपर्टी की वैल्यू, स्टाम्प शुल्क सहित सारी जानकारी सामने आ जाएगी।
प्रॉपर्टी की लोकेशन की जीआईएस टैगिंग की जा रही है, जो कि अंतिम चरण में है। नई व्यवस्था लागू होने से प्रॉपर्टी धारकों को मकान-प्लॉट या अन्य प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने में आसानी होगी।
सुदीप विजय घाटपांडे, वरिष्ठ उपपंजीयक