विक्रम यूनिवर्सिटी प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी होगी जो देश के साथ विदेशी भाषा के गाइड तैयार करेगी। यही नहीं शहर के बड़े होटलों से टाइअप कर रोजगार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। कुलपति का कहना है कि उज्जैन दर्शन के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उन्हें उनकी ही भाषा, बोली में उज्जैन की विरासत से रूबरू करवाने के लिए यूनिवर्सिटी की अध्ययनशाला में इसका कोर्स शुरू किया जाएगा। यूनिवर्सिटी में रशियन भाषा का विभाग है। इसका विस्तार कर इसमें और भाषाएं भी जोड़ी जाएंगी।
पहले भाषा सिखाएंगे, फिर जरूरत अनुसार रोजगार देंगे
कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया पयर्टन विकास निगम के साथ शहर के बड़े होटल संचालकों की बैठक बुलाएंगे। उनसे इस संबंध में चर्चा की जाएगी। पहले उनसे यह जानेंगे कि किस प्रांत या देश से सबसे ज्यादा श्रद्धालु शहर आते हैं। अब तक की चर्चा में यह बात सामने आई है कि शहर में गुजरात, उप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उनके सामने भाषा एक बड़ी चुनौती होती है।
इसके समाधान के लिए यूनिवर्सिटी अपने यहां इन भाषाओं के कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रहा है। यह ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन दाेनों मोड पर दिया जाएगा। किसी होटल में विदेशी श्रद्धालु आने पर यूनिवर्सिटी को इस संबंध में सूचित किया जाएगा। संबंधित विभाग जरूरत अनुसार गाइड को मौके पर भेजेगा।
उज्जैन दर्शन का प्लान बनाएंगे
शहर आने वाले श्रद्धालुओं को यहां की धार्मिक, ऐतिहासिक विरासत से रूबरू कराने के लिए उज्जैन दर्शन का एेसा प्लान तैयार किया जाएगा जिसमें महाकालेश्वर, कालभैरव आदि मंदिरों के साथ जंतर-मंतर, नारायणा, डोंगला के संबंध में भी बताया जाएगा। प्रयास किया जाएगा कि श्रद्धालु कम से कम दो दिन यहीं रहें। यही नहीं विभिन्न भाषाओं में फोल्डर भी तैयार किए जाएंगे। जिनकी मदद से श्रद्धालुओं को संबंधित स्थान के बारे में जानने और समझने में आसानी होगी। उन्हें यूनिवर्सिटी के म्यूजियम की सैर भी करवाई जाएगी।
भाषा का ज्ञान और रोजगार
विभिन्न प्रांतों के साथ विदेशों से आने वाले लोगों के सामने भाषा एक समस्या रहती है। उसके समाधान के लिए यूनिवर्सिटी ने इस तरह की योजना बनाई है। इसमें देश-विदेश की भाषा के जानकार तैयार किए जाएंगे जो गाइड के रूप में काम करेंगे। इन्हें दो फायदे होंगे। पहला इनका भाषायी ज्ञान बढ़ेगा और रोजगार भी मिलेगा।-प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति