मालवा – निमाड़ में ओले और बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर, अब खाने के लाले

अंचल में चार दिन पूर्व हुई ओलावृष्टि से फसलों को खासा नुकसान हुआ है। मंदसौर जिले के कई गांवों में तबाही का मंजर देखा सकता है। ग्राम सेदरा के किसान ने बताया कि तीन दिन तक भोजन ही नहीं किया है।

उज्जैन जिले में कहीं सर्वे शुरू हो गया तो कहीं इंतजार हो रहा है। रतलाम में भी सर्वे चल रहा है। मंदसौर जिले में यूं तो लगभग 31 गांवों में नुकसान बताया गया है, पर सेदरा, करनाली और बरुखेड़ा गांवों के हर खेत में नुकसान हुआ है। मेहनत से तैयार की गई गेहूं, चना, सरसों, इसबगोल, धनिया, मैथी, लहसुन, अफीम सहित सभी फसलों को महज 10 से 15 मिनट की ओलावृष्टि व उसके बाद हुई बारिश ने 100 प्रश नष्ट कर दिया है। छोटे किसानों के सामने तो सोसायटी के कर्ज व घर में खाने-पीने का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के खेतों से ही सीधे सारा एप में इंट्री करने के निर्देश के बाद भी मंगलवार को भी पटवारी पुराने परंपरागत तरीके से ही सर्वे करते रहे। पटवारियों का कहना है कि सारा एप पर जियो टेगिंग ठीक से नहीं हो पाती है। उसमें अक्षांश देशांतर जहां मिलते हैं, वहीं खड़े होकर करना पड़ता है। इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को भी बता दिया है। कलेक्टर गौतमसिंह ने कहा कि सर्वे चालू है और हमने भोपाल स्तर से अनुमति भी मांगी है कि मुआवजा वितरण प्रारंभ कर दे। पटवारियों को हो रही समस्या पर उनका कहना था कि कोई भी नई तकनीक आती है तो थोड़ी परेशानी होती ही है।

मंदसौर : तीन दिन हो गए भोजन नहीं किया

मंदसौर के ग्राम सेदरा के राधेश्याम हीरालाल ने बताया कि तीन दिन भोजन ही नहीं किया। राधेश्याम ने बताया कि नौ बीघा जमीन पर तीन भाइयों का परिवार आश्रित है। यहां गेहूं, चना,लहसुन, रायडा, प्याज सभी फसलें लगाई थीं। 70-80 हजार रुपये का कर्ज पहले से ही था, अब यह फसल नहीं होगी तो और कर्ज और बढ़ जाएगा। परिवार के खानेपीने का इंतजाम कैसे होगा यह भी पता नहीं है। इस बार फसल इतनी अच्छी थी कि एक बीघा में 10 क्विंटल से ज्यादा ही गेहूं मिलते। नीमच जिले के मनासा क्षेत्र में करीब दर्जन भर गांवों में हुई नुकसानी का सर्वे हो रहा है।

रतलाम : एक किमी तक खेतों में ओले बिछे

रतलाम जिले के जावरा व रतलाम ग्रामीण विकासखंड में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। करीब नौ हजार की आबादी वाले बांगरोद गांव में 700 किसानों की 500 हेक्टेयर में गेहूं, चना, मैथी, लहसुन व प्याज की फसल पूरी तरह खराब हो गई। पटवारी तेजवीरसिंह चौधरी ने बताया कि जड़वासाकलां से एक किमी क्षेत्र में बांगरोद स्टेशन के पास से ग्राम नेगदड़ा तक एक पट्टी में ओले गिरे हैं। इससे वहां फसलें खराब हुई हैं। तीन दिन से हर खेत तक पहुंचकर नुकसानी का आकलन करने के बाद सारा एप में जानकारी अपलोड की जा रही है। किसान दिनेश समोतरा ने बताया कि 20 बीघा में गेहूं, पांच बीघा में मैथी की खेती की थी जो अब खराब हो गई है। अमरूद का बगीचा भी बर्बाद हो गय

उज्जैन : 45 से 50 फीसद तक फसलों को नुकसान

उज्जैन। जिले में मंगलवार को देवास रोड स्थित कड़छा, नवेली आदि क्षेत्रों में सर्वे शुरू हो गया है, वहीं प्रभावित हमीरखेड़ी, तकवासा, कांकरिया आदि गांवों में किसान सर्वे टीम के अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं। कृषि अधिकारी कमलेश राठौर ने बताया कि जिले में चार लाख 65 हजार हेक्टेयर में रबी की बोवनी हुई है। इसमें से तीन लाख 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं व 27 हजार हेक्टेयर में लहसुन की बोवनी हुई है। सर्वे के प्रारंभिक दौर में कुछ गांवों में 45 से 50 फीसद तक नुकसान सामने आया है। गांव टंकारिया के किसान श्याम भगत ने बताया कि उन्होंने 50 बीघा खेत में गेहूं, लहसुन, प्याज बोया था। ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश ने 30 बीघा की फसल को चौपट कर दिया है।

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