कोरोना की तीसरी लहर तेजी से पैर पसार रही है। सब डरे हुए हैं। ओमिक्रान का संक्रमण भी तेजी से फैल रहा है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ऐसे गंभीर हालात में दूसरों को भीड़ वाले इलाकों से दूर रहने, शारीरिक दूरी बनाकर रखने और मास्क पहनने की हिदायत देने वाले नेता खुद इन गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
भाजपा हो या कांग्रेस, सभी पार्टियों के नेता कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या देख बस आम जनता को ज्ञान देने में लगे हैं और दूसरी ओर खुद आयोजन कर, भीड़ जुटाकर महामारी को न्यौता दे रहे हैं। उन्हें किसी की भी कोई परवाह नहीं है। जिम्मेदारी का अहसास तो बिल्कुल भी नहीं है। नेतागण समझने को तैयार ही नहीं है कि ऐसे आयोजन कर वे खुद संक्रमण फैला रहे हैं। लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।
सोमवार को शहर में भाजपा ने भीड़ इकट्ठा कर ली, तो मंगलवार को कांग्रेस ने रैली आयोजित कर ली। पहले दिन भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ हुए खिलवाड़ के विरोध में मानव श्रृंखला बनाकर हाथों में हाथ डालकर कोरोना को न्यौता दिया, तो वहीं दूसरे दिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने नेमावर में दलित परिवार के साथ हुई घटना के विरोध में रैली निकालकर राज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी की। यहां भी सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा की गई। दोनों आयोजनों में बस दिखावे के नाम पर नेताओं ने मास्क लगाए। सभी सट-सटकर बैठे, साथ चले, रैली निकाली, नारे लगाए। इस दौरान कई के मास्क भी बातचीत करने के लिए मुंह से नीचे होते रहते। प्रदर्शन के दौरान नेता हाथ मिलाने से भी बाज नहीं आए। सैनिटाइजर का नामोनिशान इन आयोजनों में नहीं दिखा।