मंत्री ने माफी मांगी:- पद्मश्री गुरु दाधीच के अपमान वाले मैसेज पर मंत्री उषा ठाकुर पहुंची उनके घर, कहा; आगे से गलती नहीं होगी

रवीन्द्र नाट्य गृह में शुक्रवार से शुरू हुए राग आमीर संगीत समारोह में पद्मश्री पुरु दाधीच के अपमान को लेकर कांग्रेस ने पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस प्रदे‌श प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट किया है कि इंदौर के रवीन्द्र नाट्यगृह में राग अमीर संगीत समारोह में अतिथि के रूप में बुलाए गए पद्मश्री और शहर और प्रदेश-देश के गौरव श्रद्धेय पुरु दाधीच जी के साथ हुआ दुर्व्यवहार, पूरे शहर का अपमान है, कला जगत का अपमान है। इसके बाद शनिवार रात को मंत्री उषा ठाकुर पुरु दाधीच के घर गई और खेद व्यक्त किया। इसके पूर्व सांसद शंकर लालवानी ने उनसे फोन पर बात कर घटना के लिए अफसोस जताया।

मंत्री उषा ठाकुर के साथ साहित्य अकादमी के डायरेक्टर जयंत भिसे व भाजपा मीडिया प्रभारी देवकीनंदन तिवारी भी थे। गुरु दाधीच ने उन्हें अपने साथ हुई घटना को बताया कि ऐसी घटनाएं बाबू तंत्र के कारण होती है। उन्हें पानी तक के लिए नहीं पूछा गया और कुर्सी पर बैठने तक नहीं दिया। अब वरिष्ठ कलाकारों का सम्मान करने के संस्कार नहीं है। उन्होंने सझाव दिया कि मप्र के वरिष्ठ कलाकारों को एक सलाहकार समिति बनाकर उसमें लिया जाए। इसके साथ ही पूरा सम्मान मिले। इस पर मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी वरिष्ठ कलाकारों का सम्मान किया जाएगा।

मामले में मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि मुझे घटना की जानकारी नहीं थी लेकिन जो कुछ हुआ वह अफसोसजनक है। इसमें जिसकी भी गलती है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

यह था मामला

पुरु दाधीच ने अपने ऑडियो संदेश में बताया था कि- आदरणीय जयंत भिसेजी, मैं आपके शुक्रवार शाम समय से पूर्व रवीन्द्र नाट्य गृह पहुंचा। मै पौने आठ बजे तक अकेले बैठा रहा। फिर थोड़ी देर बाद चहलकदमी के लिए बाहर निकला। तब मंत्राणी महोदय पधारी। उनके साथ उनके तमाम लोग आए। भीड़ थी, मैं पहुंचा तो बची एक कुर्सी पर बैठने लगा तो मंत्री के पीए ने हटा दिया और किसी और को बैठा दिया। अपमान होकर, बहुत बेइज्जत होकर तेरे कूचे से हम निकले। मैं वापस घर आ गया हूं। आपने जो सम्मान दिया है, उसके लिए शुक्रिया।

इसके बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने ट्वीट किया था कि गुरुजी का संदेश सुना, वे इस घटना से बेहद आहत हुए। प्रदेश की मंत्री उषा ठाकुर को इस घटना के लिये गुरुजी से माफी मांगना चाहिए और इस दुर्व्यवहार की घटना पर अपने निजी सचिव को तत्काल हटाना चाहिए। इंदौर को संस्कारों की नगरी कहा जाता है, यहां की मेहमाननवाज़ी की तारीफ पूरे देश में होती है। ऐसी घटनाएं शहर की इस छवि को खराब करती है।

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