संघर्ष के बाद जीवन जीने का अपना ही आनंद है। टीबी से मुक्त हुए लोग दूसरों के जीवन में आनंद ला रहें है

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जिला टीबी फोरम की सोमवार को हुई बैठक में कलेक्टर श्री अविनाश लवानिया ने ऐसे काउंसलर को जो दूसरों को जीने की नई राह दिखा रहे हैं को 2000-2000 रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की। जिला टीबी अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने बताया कि टीवी से ग्रसित होने के बाद कई लोग हीन भावना का शिकार हो जाते हैं। उन्हें यह काउंसलर उनके घर जाकर बीमारी के बारे में बताते हैं और समझाते हैं कि यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है, बस नियमित तौर पर दवाई लेनी पड़ती है।

खुद बीमार पड़े तो जीवन में संघर्ष समझ में आया। कई लोगों ने मदद की तो कुछ लोगों ने टीबी की बीमारी के नाम पर मदद करने से अपने और पराए सब ने मुंह मोड़ लिया। आखिरकार दृढ़ इच्छा शक्ति और सकारात्मक सोच की वजह से वह इस बीमारी से अब पूरी तरह से उबर गए। साथ ही संकल्प लिया कि इस बीमारी से पीड़ित दूसरे मरीजों का मनोबल बढ़ाएंगे।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि टीबी ग्रस्त लोगो ने बीमारी से मुक्ति पाकर जीवन जीने की नई राह दिखाई है। कोई पिछले चार साल से तो कोई तीन साल से इन मरीजों के घर जाकर काउंसलिंग कर उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत बना रहा है। यह कहानी है भोपाल के उन 30 लोगों की जो टीबी की बीमारी से पूरी तरह से उबर चुके हैं।

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