आदिवासी जनजीवन के रंगों को संजोए ‘फाल्गुन में चार रंग’

आदिवासी जनजीवन और उनकी संस्कृति के रंगों को लिए चित्रकारी करने वाले युवा कलाकार अनूप श्रीवास्तव द्वारा निर्मित कृतियां इन दिनों मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शित की गई है।

‘फाल्गुन में चार रंग’ शीर्षक लिए आयोजित हुई इस सात दिवसीय कला प्रदर्शनी में धार-झाबुआ की आदिवासी लोक संस्कृति, वहां की परंपरा, कला और उत्सव के खूबसूरत दृश्यों व परिवेश को इस चित्रकार ने कैनवास पर उतारा और उसे इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है।

धार के रहने वाले अनूप ने इंदौर के शासकीय ललित कला संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है। इस प्रदर्शनी में उन्होंने 100 चित्रों की खूबसूरत श्रृंखला को प्रदर्शित किया है। इनके अलावा प्रदर्शनी की खास बात यह है कि कलाकार ने पांच फिट बाय 50 फीट के कैनवास पर बनी विशाल पेंटिंग भी प्रदर्शित की है। इस पेंटिंग की खासब बात यह है कि इसमें कलाकार ने प्रकृति के संरक्षण का संदेश भी रेखाओं और रंगों के जरिए दिया है। इसके साथ ही जीवन में उत्सव का महत्व भी प्रतिपादित किया है।

‘जंगल मेला’ शीर्षक वाली इस कृति में कलाकार ने मावनाकृतियों के साथ जंगल के परिदृश्य और जनजीवन में उत्लास को भी दर्शाया है। यह पेंटिंग उन्होंने कैनवास पर एक्रेलित रंग से तैयार की है। कलाकार ने कुछ कृतियां एक्रेलिक रंग से तैयार की हैं और कुछ कृतियों में पेस्टल कलर की खूबसूरती नजर आती है। चित्रों में चटख रंगों का उपयोग करते हुए इन्होंने उसे आदिवासी जनजीवन के पहनावे जोड़ने का खूबसूरत प्रयास किया। सात फरवरी तक जारी रहने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन उद्योगपति अमित बाजरा ने किया।

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