नागरिकता संशोधन बिल को आए अभी दो साल भी नहीं हुए और इस अवधि में 1530 पाकिस्तानी सिंधी नागरिकों ने इंदौर में भारतीय नागरिकता ले ली है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में पिछले पांच साल में कुल 4177 पाकिस्तानियों ने भारतीय नागरिकता ली है। यानी पांच साल में जितने पाकिस्तानी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता ली है, उसके 36.63 फीसदी दो साल में इंदौर में बस गए हैं।
प्रशासन द्वारा जारी नागरिकता के आंकड़ों के मुताबिक इंदौर में दो साल में कुल 2055 आवेदन आए। इनमें से तीन रिजेक्ट हुए, वहीं 1530 को नागरिकता दी जा चुकी है। 527 अभी प्रक्रिया में हैं। इन्हें भी अगले एक से दो महीने में प्रमाण पत्र मिल जाएंगे। बचे हुए 527 आवेदनों को मंजूरी मिलते ही देश में आए पाकिस्तानी नागरिकों में 50 फीसदी इंदौर में बसे होंगे और पाकिस्तान के सिंध प्रांत (कराची से लगा हिस्सा) से आए हैं।
ऐसे मिलती है नागरिकता
- शॉर्ट टर्म वीजा से आते हैं। फिर लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन
- रिकॉर्ड अच्छा होता है तो नागरिकता का आवेदन करते हैं
- इतने सालों में परिचय बढ़ते ही गारंटर मिल जाते हैं जो गवाही देते हैं।
- नियम सरल हैं, इसलिए विभागों की एनओसी भी मिल जाती है
भारत के संविधान को मानेंगे- इसी शपथ के साथ मिली नागरिकता
जिला प्रशासन में नागरिकता का प्रभार देख रहे एडीएम राजेश राठौड़ के मुताबिक नागरिकता संशोधन बिल के बाद हमने विशेष डेस्क बना दी है। इसके तहत आए आवेदनों की स्क्रूटनी होती है। संशोधन बिल आने के बाद जरूर इंदौर में यह संख्या बढ़ी है। नागरिकता की मंजूरी के समय इनसे पूछा जाता है अब लौटेंगे तो नहीं? भारत के संविधान को मानेंगे या नहीं? इन्हीं हिदायत पर इन्हें नागरिकता दी जाती है।
पाकिस्तान की प्रताड़ना से परेशान होकर आते हैं
पाकिस्तान से आए इन लोगाें का कहना है कि वहां सिंधी समाज प्रताड़ित है। सांसद शंकर लालवानी का कहना है सर्वाधिक मामले प्रताड़ना के हैं। वहां व्यापार के तो अच्छे अवसर मिलते हैं, लेकिन भेदभाव और राष्ट्रीयता के कारण परेशान किया जाता है।
स्थानीय स्तर पर व्यवस्था, इसलिए प्रक्रिया सरल है
जैकबाबाद पंचायत के अध्यक्ष राजा मंधवानी कहते हैं पहले नागरिकता का काम दिल्ली गृह मंत्रालय से होता था। इसलिए सालों लग जाते थे। अब स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन ही जांच के बाद नागरिकता देता है इसलिए यह संख्या बढ़ी है।
70 प्रतिशत से ज्यादा आवेदन पाकिस्तान के
दिसंबर 2021 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में जो रिपोर्ट पेश की, उसके मुताबिक लंबित 70% से ज्यादा आवेदन पाकिस्तानियों के हैं। करीब 11 हजार लोग नागरिकता पाने के लिए कतार में हैं।