इंदौर के गौरव के रूप में अहिल्या बाई के नाम पर बहुमत, दिन अभी तय नहीं

इंदौर गौरव दिवस के बारे में तय करने के लिए बैठे शहर के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रबुद्धजनों के विविध सुझाव आए, लेकिन इंदौर के गौरव के रूप में बहुमत से देवी अहिल्याबाई होलकर के नाम को स्वीकृति मिली।

हालांकि तारीख फिलहाल तय नहीं हो पाई है।

शनिवार को सिटी बस कार्यालय में हुई इस बैठक की अध्यक्षता लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। तिथि और तारीख तय करने के लिए उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की चार सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति में सांसद शंकर लालवानी, आइडीए अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा, कलेक्टर मनीष सिंह और नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को शामिल किया गया है। समिति का निर्णय जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के माध्यम से सरकार को भेजा जाएगा। बैठक में गौरव दिवस के साथ ही कलाकारों, खिलाड़ियों आदि के लिए विविध आयोजन रखे जाने का सुझाव आया है। ऐसे में गौरव दिवस की तिथि या तारीख का चयन मौसम को देखते हुए भी किया जाएगा, ताकि इसे मनाने में कोई विघ्न न आए। बैठक में मौजूद जल संसाधन मंत्री सिलावट ने कहा कि इंदौर गौरव दिवस के बारे में समिति जो भी निर्णय करेगी वह सरकार को मान्य होगा।

नंदलाल मंडलोई के नाम पर हो पुरस्कार की स्थापना – शहर के बड़ा रावला के जमींदार परिवार की ओर से वरदराज मंडलोई और उनकी मां माधवी मंडलोई ने अपने पूर्वज राव राजा नंदलाल मंडलोई के नाम पर इंदौर गौरव दिवस मनाए जाने का सुझाव दिया। अपने इस सुझाव के साथ उन्होंने इतिहास के तर्क भी रखे कि कैसे राव नंदलाल मंडलोई ने विश्व का पहला विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनाया और सत्रहवीं-अठारहवीं सदी में इंदौर के व्यापार को टैक्स फ्री कराया। उनके इस सुझाव का एक-दो लोगों ने समर्थन भी किया।

इन्होंने दी अहिल्याबाई के नाम पर सहमति – अण्णा महाराज ने कहा कि अहिल्याबाई के जन्मदिवस पर मैं सहमत नहीं हूं। अच्छा होगा कि जिस दिन उनका राजतिलक हुआ या राजवाड़ा की नींव रखी गई, उस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाया जाए। आइडीए अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा, कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व महापौर मालिनी गौड़, विधायक महेंद्र हार्डिया, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक जयंत भिसे, सुनील मतकर, पद्मश्री जनक पलटा, क्रिकेट कमेंट्रेटर सुशील दोशी, लेखक शरद पगारे, भाजपा नेता मधु वर्मा, गोविंद मालू, खजराना गणेश मंदिर के पुजारी अशोक भट्ट, रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी दीपेश व्यास, रमेश मंगल, अरविंद बागड़ी, सुदर्शन गुप्ता, गौरव रणदिवे व अन्य ने अहिल्याबाई के नाम पर गौरव दिवस मनाने का समर्थन किया।

अहिल्यानगर किया जाए इंदौर का नाम – क्षेत्र क्रमांक दो के विधायक रमेश मेंदोला ने कहा कि इंदौर कोई नाम होता है क्या? इंदौर का नाम भी अहिल्याबाई के नाम पर अहिल्यानगर किया जाना चाहिए। क्षेत्र क्रमांक तीन के विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि इंदौर का गौरव दिवस किसी कलाकार के नाम पर भी हो सकता है। लता मंगेशकर इंदौर में जन्मी हैं। लताजी के जन्म दिवस को इंदौर गौरव दिवस के रूप में मनाना चाहिए।

…तो हमारा समय क्यों व्यर्थ किया – कवि और भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कटाक्ष किया कि इंदौर गौरव दिवस के बारे में जब सरकार को ही तय करना है तो हमारा समय क्यों व्यर्थ किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने इंदौर के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है। इंदौर के गौरव की बात हो रही है तो कई विभूतियों ने यहां का गौरव बढ़ाया है। उनको भी इस गौरव दिवस में शामिल किया जाना चाहिए।

ताई बोलीं- प्लीज बहस मत करो, बात को काटो मत – बैठक में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने रंग में दिखीं। इंदौर होटेलियर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमीत सूरी ने अहिल्याबाई के जन्मदिवस 31 मई को गौरव दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। समाजसेवी डा. अनिल भंडारी ने इसका समर्थन किया। इस पर बड़े रावले की माधवी जमींदार ने कहा कि आपने 150 साल के इतिहास पर एकतरफा जानकारी दी है। इस पर ताई ने कहा कि देखिए यहां कोई किसी की बात को काटेगा नहीं। एमआइसी सदस्य रहे सुधीर देड़गे ने कहा कि राव नंदलाल केवल निजामों के चौधरी थे, राजा नहीं थे। इस पर माधवी जमींदार ने सख्त आपत्ति ली। इस पर ताई ने फिर हस्तक्षेप किया कि आपस में कोई बहस ना करें। पद्मश्री भालू मोंढ़े ने कहा कि बाजीराव पेशवा ने खासगी जागीर बनाई और मल्हारराव होलकर को उसका प्रधान बनाया। इंदौर गौरव दिवस उनके नाम पर होना चाहिए।

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