उज्जैन । व्यक्तिगत जीवन के कलुष के आधार पर जो समाज को अमृत देते हैं, वे भर्तृहरि हैं। अपने साहित्य में मानवीय संवदेनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। वे लोक एवं शास्त्र में समाजन रूप से समाद्धत हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में भर्तृहरि के सन्देश सम्मिलित किये जाना चाहिये। नीति प्रतिपादित शृंगार और वैराग्य ही सार्थक होता है। ये विचार डॉ.राजेशलाल मेहरा अध्यक्ष म.प्र. लोक सेवा आयोग इन्दौर ने कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन द्वारा आयोजित भर्तृहरि प्रसंग के दौरान हुई शोध संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये।
इस अवसर पर प्रो.शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि राजयोगी भर्तृहरि ने जीवन के अविराम प्रवाह को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है, जो अनुपम हैं। उनके दो रूप हैं, श्लोक भर्तृहरि और लोक भर्तृहरि। इनमें से उनका लोक रूप अधिक प्रभावी रहा है। उन्होंने व्यापक लोक समुदाय को गहरे प्रभावित किया। भर्तृहरि एक गतिशील कवि और चिंतक हैं, जो कहीं एक जगह ठहरते नहीं। सही अर्थों में समावेशी जीवन का प्रादर्श भर्तृहरि ने रचा है। उन्होंने पुरुषार्थों की महिमा को सरस रूप में वर्णित किया, जो आज भी प्रासंगिक है।
इस अवसर पर डॉ.तुलसीदास परोहा, डॉ.उमा वाजपेयी, डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे (इन्दौर), डॉ.हिम्मतलाल शर्मा (जावरा), डॉ.प्रतिष्ठा शर्मा ने भर्तृहरि साहित्य में नैतिक मूल्य पर केन्द्रित विस्तृत शोधालेख को प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत एवं स्वागत उद्बोधन देते हुए अकादमी के प्रभारी निदेशक, डॉ.सन्तोष पण्ड्या ने कहा कि साहित्य जगत में भर्तृहरि का स्मरण बड़े सम्मान से किया जाता है। संचालन डॉ.श्वेता पण्ड्या ने किया। आभार कार्यक्रम संयोजक डॉ.संदीप नागर ने किया।
भर्तृहरि पर केन्द्रित नृत्य नाटिका की दी सुन्दर प्रस्तुति
भर्तृहरि केन्द्रित शोध संगोष्ठी के तदनन्तर श्री संजय महाजन के निर्देशन में नटेश्वर नृत्य संस्थान, बड़वाह के कलाकारों आदर्श पाटीदार, शिवा भौरे, हर्षल महाजन, संयम महाजन, शिवानी मण्डलोई, मानसी उपाध्याय, दीप्ति ठाकुर, दिशा ठाकुर, अग्रणी महाजन, धु्रवी गुप्ता, भावना नामदेव, पलक महाजन एवं वंशिका वर्मा ने भर्तृहरि पर केन्द्रित नृत्य नाटिका की मनमोहक प्रस्तुति दी। आभार कार्यक्रम संयोजक डॉ.संदीप नागर ने किया।