आरआरकैट इंदौर ने बनाए कोरोना संक्रमण, टीवी एवं कैंसर से निपटने के उपकरण

राजा रामन्ना उन्नत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरकैट) इंदौर का 39वां स्थापना दिवस समारोह सोमवार को मनाया गया। इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र कलपक्कम के निदेशक डा. बी वेंकटरमण मुख्य अतिथि थे।

आरआरकैट के निदेशक डा. शंकर वी नाखे ने लेजर, एक्सेलेरेटर और संबंधित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पिछले एक साल में आरआरकैट द्वारा किए गए प्रमुख योगदानों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। इस दौरान आरआरकैट में विकसित प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया गया। इसमें रमन प्रोब का प्रौद्योगिकी रिसर्च इंडिया कंपनी को दी गई।

संभावित घातक घावों की पहचान करने वाली मशीन की तकनीकी ओंकोविजन एप्लाइड आप्टिकल टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को हस्तांतरित की गई। टीबी की जांच के लिए बनाई गई मशीन की तकनीक माइक्रोस्कोपी रिसर्च इंडिया कंपनी को हस्तांतरित की गई। ये कंपनियां अब इन उत्पादों को बड़े पैमाने पर तैयार करेंगी और ये उत्पाद बाजार में सस्ते दामों में उपलब्ध होंगे।

डा. बी. वेंकटरमण ने कहा कि हमने तकनीक का हस्तांतरण ऊष्मायन के लिए किया है जो विकिरण के वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। इस समय दुनिया डीप लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी पर पूरी तरह केंद्रित हो गई है और इसमें काफी काम चल रहा है। इस तकनीक पर आधारित उपकरणों को तैयार करने पर सभी संस्थान काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक को पहुंचाना जरूरी है। मेडिकल सेवाएं भी कम से कम पैसों में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मिल पाएं, इसके लिए काम करने की जरूरत है।

आरआरकैट में हुए ये महत्वपूर्ण शोध

आंको डायग्नोस्कोप- यह मशीन आरआरकैट ने करीब चार लाख रुपये की लागत से बनाई है। इसे बनाने में संस्थान के प्रो. शोवन मजूमदार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इससे मुंह के कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकता है। अगर किसी को कैंसर होने की संभावना है तो उसकी जानकारी मशीन दे देती है। कुछ मिनट में मशीन परिणाम बता देती है। मशीन का उपयोग टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई और प्रदेश में बड़े पैमाने पर किया जा चुका है। प्रदेश में पांच हजार से ज्यादा लोगों की मशीन से जांच की जा चुकी है। मशीन की तकनीकी को आरआरकैट ने हैदराबाद की ईसीआइएल कंपनी को हस्तांतरित कर दी है।

ट्यूबरकुलोस्कोप – आरआरकैट ने टीबी बीमारी की जांच के लिए एक डिवाइस बनाया है। यह पोर्टेबल उपकरण है जिसे एक व्यक्ति भी संचालित कर सकता है। एक तरह से यह मशीन काम्पैक्ट फ्लोरोसेंस इमेजिंग डिवाइस है जिसमें प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) लगी हुई है। रोशनी थूक से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुली बैक्टीरिया की पहचान करती है। मशीन को चलाने के लिए ग्राफिकल यूजर इंटरफेस साफ्टवेयर भी बनाया गया है। अस्पतालों और लैब में अब तक उपयोग किए जा रहे सामान्य फोरोसेंस माइक्रोस्कोप की तुलना में कैट द्वारा तैयार किए गए उपकरण की लागत काफी कम है। इस मशीन से 100 प्रतिशत परिणाम सही निकलते हैं।

नीलभस्मी – संस्थान ने कोरोना संक्रमण सहित विभिन्ना सूक्ष्म जीवों को निष्क्रिय करने के लिए पराबैंगनी किरणों पर आधारित उपकरण बनाया है। इसमें यूवीसी लाइट का उपयोग किया गया है। उपकरण 10 वर्गमीटर के क्षेत्र को 45 मिनट में संक्रमण मुक्त कर देता है। इसका उपयोग दफ्तर, घर, अस्पताल और कई जगहों पर किया जा सकता है। इसका उपयोग इस समय कई संस्थानों में हो रहा है।

अग्नि रक्षक- संस्थान ने आप्टिकल फाइबर आधारित ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे आग लगने की घटनाओं को कम किया जा सकता है। किसी भी तकनीकी उपकरणों के साथ ही इमारत, घर, बिजली केंद्र, आइल और गैस पाइप लाइन और बिजली के तारों में मौजूद तापमान पता करने के लिए किया जा सकता है।

कुछ वर्ष पहले संस्थान टाटा मोटर्स के साथ भी समझौता कर लिक्विड नाइट्रोजन आधारित वाहन बना चुका है। इसमें लंबे समय तक सब्जी, फल और जरूरी सामग्री को सुरक्षित रखा जा सकता है। साथ ही भारत का पहला इंफ्रा रेड फ्री इलेक्ट्रान लेजर, आरएफ टेक्नोलाजी, भारत का पहला स्वदेशी हीलियम द्रवीकरण यंत्र भी बना चुका है। चलती हुई रेल का वजन पता करने के लिए भी संस्थान ने शोध किए हैं।

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