बहुकला प्रदर्शनी में बिखरी प्रकृति के कई रंगों की छटा

राष्ट्रीय कालिदास और शिखर सम्मान से अलंकृत कलाकारों की कृतियों की प्रदर्शनी राजधानी के भारत भवन की कला दीर्घा में आयोजित की गई है। यहां राष्ट्रीय कालिदास सम्मान प्राप्त परमजीत सिंह, ज्योति भट्ट, इरा चौधरी, ध्रुव मिस्त्री और राज्य शिखर सम्मान से अलंकृत मनीष पुष्कले और देवीलाल पाटीदार की कृतियों का प्रदर्शन किया जा रहा है।

इनमें से किसी भी कलाकार को परिचय की जरूरत नहीं है और इनकी कलाकृतियां बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ व्यक्त कर रही हैं। अधिकतर कलाकारों ने प्रकृति पर आधारित कार्य दिखाया है। इनमें प्रकृति के अवयवों को दिखाने की कोशिश की गई है। यहां कुल 86 कला कृतियों का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी को 28 फरवरी तक दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक देखा जा सकता है।

प्रकृति के मूड का व्यक्त करते हैं चित्र : परमजीत सिंह और ज्योति भट्ट की पेंटिंग प्रकृति के अलग-अलग मूड को परिभाषित करती है। पंजाब के परमजीत सिंह ने जंगलों को काले और सफेद रंग में चित्रित किया है। प्रत्येक वक्र गतिशील है। उनकी रचनाओं में प्रकृति स्वयं को चमकीले रंगों में भी प्रकट करती है। पीले और गुलाबी रंग का एक मेल उनके काम में जीवंतता जोड़ता है। वहीं दिल्ली की ज्योति भट्ट की कलाकृतियों में ग्राफिक वर्क है। प्रकृति के साथ-साथ मनुष्य भी शामिल हैं। उनके चित्रों में सांप, तारे तथा एक पक्षी, उल्लू और एक इंसान का सिर है। यह सूक्ष्म ऊर्जा के माध्यम से चेतना की उच्च अवस्था को प्रदर्शित करता है।

जलीय जीवों की दुनिया

भोपाल के देवीलाल पाटीदार सिरेमिक कार्य के माध्यम से एक्वा लाइफ का वर्णन करते हैं। उनके शंख, आक्टोपस और घूंट असली लगते हैं। वह जलीय जीवों की दुनिया को एक नया अर्थ भी देते हैं जिसे मनुष्य यह समझे बिना कुचल देता है कि उन्हें भी जीने का अधिकार है।

भोपाल के मनीष पुष्कले ने लाकडाउन में हिस्ट्री- प्री हिस्ट्री जोड़ते हुए पेंटिंग बनाई है। इसमें उन्होंने सिलाई-तुरपाई वाला फील दिया है। उन्होंने दोनों को जोड़ा है। हिस्ट्री यानी भारत भवन, जहां काम सीखा और प्री हिस्ट्री यानि भीमबेटिका और सांची। इससे उन्होंने खुद की कहानी कही है।

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